केले के फाइबर से बना सस्ता सेनेटरी पैड, ये है कीमत

January 24 2020

क्या आप जानते हैं कि औसतन, महिलाएं अपने जीवनकाल में लगभग 10,000 सेनेटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं. पारंपरिक पैड में 90 प्रतिशत तक प्लास्टिक होता है और निपटान के बाद लगभग 600-800 वर्षों तक लैंडफिल में बरकरार रहता है. अधिकांश पैड में लगभग 3.5 ग्राम पेट्रोकेमिकल प्लास्टिक होता है, जिसमें प्रत्येक सैनिटरी पैड मंप लगभग 21 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड होता है. अब इस प्लास्टिक कचरे का निपटारा करने के लिए गुजरात के एक जोड़े, चिराग और हेतल विरानी ने एक अच्छी पहल की है. चिराग और हेतल केले के तने का उपयोग करके बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड का निर्माण करते हैं. इस जोड़ी ने वर्ष 2017 में शुरू हुई ब्रांड नाम स्पार्कल के तहत इको-फ्रेंडली सेनेटरी पैड बनाना शुरू किया था. बता दें कि स्पार्कल सैनिटरी पैड को सैन फ्रांसिस्को स्थित टेक क्रंच डिसट्रक्ट 2019 द्वारा स्वास्थ्य श्रेणी (Health Category) में शीर्ष पांच सबसे नवीन स्टार्ट-अप (Most Innovative Start-up) में से एक के रूप में चुना गया है.

मीडिया से हुई बात में, हेतल ने कहा कि महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान स्वच्छ उत्पादों तक पहुंच बनाने में मदद करने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह उन्हें पारंपरिक पैड में मौजूद प्लास्टिक के कारण चकत्ते, जलन जैसी समस्याओं का सामना किया है.

उन्होंने आगे कहा कि भारत में तकरीबन 8 लाख हेक्टेयर में केले की खेती होती है. एक बार केले की कटाई के बाद, ये पौधे कृषि अपशिष्ट (Agro waste) बन जाते हैं. किसान आमतौर पर इन बेकार तनों को जलाते हैं जो पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं. इसलिए हमने सोचा कि इस कृषि-अपशिष्ट (Agro waste) को स्पार्कल पैड बनाने के लिए एक स्थायी कच्चे माल में बदलने की कोशिश करी जाए. केले के तने या फाइबर को बेचकर केले के किसान प्रत्येक फसल पर अतिरिक्त आय अर्जित करते हैं.

हेतल ने बताया कि उनके पास 64 मिलियन टन केले के स्टेम जैसे एग्रो कचरे को सेनेटरी पैड, बेबी डायपर, सजावटी लिबास, मुद्रा पेपर और जैविक उर्वरक में बदलने की पूरी क्षमता है. जोकि भारत में हर साल करीब 10 लाख टन सेनेटरी पैड कचरे को खत्म करने में मददगार है. उन्हें पूरी उम्मीद है कि जल्द ही केले के फाइबर वैश्विक स्तर पर सेनेटरी पैड में प्लास्टिक की जगह ले लेंगे.

इन फाइबर युक्त पैड की लागत की बात करें तो इनकी ऊपरी लागत 23.50 रुपये प्रति पैड होती है, लेकिन ज्यादातर महिलाओं तक ये पैड पहुंचे इसके लिए, इस जोड़ी ने मार्च, 2020 में अपने इस पैड को 9.99 रुपये पर लॉन्च करने की योजना बनाई है. अभी तक ये जोड़ी 50 हजार से ज्यादा पैड बेच चुकी हैं. इन पैड को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला केले का फाइबर उपयोग के 140 दिनों के अंतर्गत बायोडिग्रेड हो जाता है.

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: कृषि जागरण