मध्य प्रदेश राज्य जिला बैतूल में सरकार काजू की बागवानी बढ़ाने पर जो दे रही है. इसके लिए उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा जिले के किसानों के खेतों में इस वर्ष भी बड़े स्तर पर काजू के बगीचे लगवाए जाएंगे. काजू मुख्यत: पड़त भूमि की फसल होने के कारण बैतूल जिले में बहुतायत में पाई जाने वाली लाल बर्री जमीन हेतु उपयुक्त फसल है. बैतूल जिला प्रदेश का पहला जिला है जहॉ पर वर्ष 2018-19 से काजू की व्यवसायिक खेती प्रारंभ की गयी है. काजू उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुये विभाग द्वारा इस वर्ष 1000 हेक्टेयर में किसानों के खेतों में काजू के बगीचे लगाये जाने का लक्ष्य रखा गया है.
सरकार की ओर से मिलेगा अनुदान
उद्यानिकी विभाग की फल पौधरोपण योजनान्तर्गत काजू के बगीचे लगाये जाने हेतु अनुदान का प्रावधान है. ड्रिप सहित 1 हेक्टेयर में 400 पौधों का रोपण किये जाने पर प्रावधान अनुसार 3 वर्षो में 3 किश्तों (60:20:20) में 60 हजार रूपये अनुदान देय होगा. योजनांतर्गत ग्राफ्टेड पौधे विभाग द्वारा प्रदान किये जायेंगे जिनकी राशि सम्बन्धित किसान की अनुदान राशि से समायोजित की जाएगी.
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सीमित लक्ष्य को देखते हुये पात्रता अनुसार ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर योजना का लाभ दिया जाएगा. अधिक जानकारी के लिये इच्छुक कृषक संबंधित विकासखण्ड के उद्यानिकी कार्यालय अथवा कार्यालय उप संचालक उद्यान, कंपनी गार्डन, बस स्टैण्ड के पीछे, बैतूल में सम्पर्क कर सकते है.
कोको बोर्ड द्वारा दिया गया प्रशिक्षण
जिले में काजू की व्यवसायिक खेती हेतु राष्ट्रीय काजू एवं कोको विकास निदेशालय कोच्चि केरल द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है. पूर्व में निदेशालय के वैज्ञानिकों द्वारा जिले के काजू बगीचों का भ्रमण कर निरीक्षण किया गया एवं काजू लगाने वाले किसानों को काजू उत्पादन की तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया गया. वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसा की गयी कि बैतूल जिले की जलवायु काजू की खेती के लिये अनुकूल है एवं उचित देखभाल करने पर बैतूल जिले में उत्पादित काजू अपनी एक नई पहचान बना सकता है.
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स्रोत: कृषि जागरण