मध्यप्रदेश राज्य के रतलाम जिले की पहली फव्वारा पद्धति से बनी कोटेश्वर इमलीपाड़ा सिंचाई तालाब परियोजना से 2354 किसान परिवार लाभांवित हो रहे हैं। यह महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना लगभग 22 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का सशक्त माध्यम बनी है।कोटेश्वर तालाब का निर्माण राज्य शासन द्वारा 69 करोड़ 63 लाख रूपये की लागत से कराया गया है। इस तालाब का लाभ रतलाम तहसील के ग्रामीण क्षेत्र के करीब 13 गाँव के लोगों को मिल रहा है। यह परियोजना इमलीपाड़ा गाँव के अलावा मुख्य रूप से रावलिया, खेड़ा-खेड़ी, पीपलोदी, बावड़ीखेड़ा, पीपलखूंटा, उमरन, पिपलीपाड़ा, बसंतपुरा, कुण्डालपाड़ा एवं गुजरपाड़ा के 2354 किसान परिवारों के लिये वरदान बनी है। तालाब निर्माण के पहले यहाँ के किसान परम्परागत खेती किया करते थे। तालाब बन जाने के बाद अब किसान परम्परागत फसलों के साथ-साथ अमरूद, नींबू और पपीता जैसी उद्यानिकी फसल लेने में सक्षम हो गये हैं। इस क्षेत्र में उद्यानिकी खेती के रकबे में भी अच्छी-खासी वृद्धि हुई है। भू-जल स्तर में भी वृद्धि हुई है। मछली-पालन के साथ अब मवेशियों को पीने का पानी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो रहा है। प्रेशराइज्ड सिंचाई प्रणाली से पानी की खपत कम होती है और किसानों के पास ज्यादा मात्रा में पानी उपलब्ध रहता है। कोटेश्वर सिंचाई तालाब की अधिकतम ऊँचाई 23.25 मीटर है। तालाब की कुल जल-भराव क्षमता 10 घन मीटर की है।
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स्रोत: कृषक जगत