विश्व में चावल निर्यात में डंका बजाने वाले भारत के चावल निर्यातकों की बेमौसमी बारिश ने नींद उड़ा दी है। भारत में पिछले चावल निर्यात में रिकॉर्ड तोड़ 132 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी। अब बेमौसमी बारिश के कारण चावल का दाना जहां काला होने की आशंका है, वहीं, इसके साइज और स्वाद पर भी असर होगा। पंजाब में अब भी 65 फीसदी धान की फसल खेतों में खड़ी हुई थी कि ओलावृष्टि व बारिश से फसल खेतों में बिछ गई है। पिछले साल ही भारत ने चावल (गैर बासमती) के निर्यात के मामले में भी 132 फीसदी की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की थी।
खाड़ी देशों में होती है ज्यादा सप्लाई
वहीं, गैर बासमती चावल का निर्यात 2019-20 में 13,030 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 30,277 करोड़ रुपये हो गया था। किसानों के अलावा केंद्रीय खरीद एजेंसियों को उम्मीद थी कि इस साल धान की बंपर व बढ़िया फसल होगी और निर्यात पिछले साल के मुकाबले ज्यादा बढ़ जाएगा। निर्यातकों ने खाड़ी देशों से लेकर वियतनाम तक अपने नेटवर्क को मजबूत करना शुरू कर दिया था। पंजाब में इस साल 200 लाख हेक्टेयर के करीब धान की खेती की गई थी। कटाई के बाद से चौथी बार बरसात ने धान की फसल का नुकसान कर दिया है।
इस बार होगा अधिक नुकसान
एक बार फसल गिरने के बाद उठती नहीं है, ऐसे में चावल के दाने खराब होने आशंका रहती है। दूसरा फसल गिरने से प्रति एकड़ उत्पादन भी कम होता है। इस बार अक्तबूर में अधिक बारिश होने का असर धान पर बुरी तरह से हुआ है और चावल का रंग हलका काला होने की आशंका है। इसके साथ ही मिलिंग में भी चावल टूटता है। इसका असर चावल के स्वाद और गुणवत्ता पर पड़ेगा। चावल का निर्यात करने वाले अमृतपाल सिंह का कहना है कि खाड़ी देशों में तो पंजाब के चावल की बंपर डिमांड है, लेकिन बारिश ने उनकी योजना पर पानी फेर दिया है। अगर दाना खराब निकला तो निर्यात नहीं होगा और क्वालिटी चेक में ही बाहर हो जाएगा।
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स्रोत: Amar Ujala