नासिक में प्याज की नीलामी बंद, आने वाले दिनों में बढ़ सकते हैं खुदरा भाव

September 22 2023

नासिक जिले के व्यापारियों ने प्याज की नीलामी रोक दी है।दो दिनों से व्यापारियों ने हड़ताल की है। इन व्यापारियों की कुछ मांगें हैं जिसे लेकर हड़ताल चल रही है। नासिक देश में प्याज का हब कहा जाता है। ऐसे में यहां नीलामी यूं ही बंद रही तो आने वाले समय में प्याज का खुदरा रेट बढ़ सकता है। प्याज का भाव पहले से ही बढ़ा हुआ है। इस तरह अगर हड़ताल अधिक दिनों तक जारी रही तो किसानों से लेकर आम ग्राहकों पर बुरा असर होगा। मंडियों में किसान का प्याज नहीं बिकेगा और मार्केट में सप्लाई घटेगी तो रेट बढ़ जाएंगे।

नासिक जिले के प्याज व्यापारियों की समस्याओं को लेकर व्यापारी संघ ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री और विपणन मंत्री को ज्ञापन दिया है। सरकार की ओर से समस्या को लेकर आयोजित बैठक में इन मांगों का समाधान नहीं होने से लासलगांव सहित जिले की 17 कृषि उपज बाजार समितियां अनिश्चित काल के लिए बंद रहेंगी। इससे एक दिन में लगभग 30 से 40 करोड़ का कारोबार बंद हो जाएगा। वहीं नाशिक जिलाधिकारी और मार्केटिंग बोर्ड ने सभी कृषि उपज मंडी को आदेश दिया है कि जो ब्यापारी प्याज की नीलामी में नहीं आएगा उसका लायसेंस निलंबित किया जाए और जो नए लोग ट्रेडिंग के लिए तैयार हों, उन्हे तुरंत लायसेंस मुहैया कराए जाएं।

हल निकला तो नीलामी में होंगे शामिल 

वहीं प्याज व्यापारी एशोशिएशन के सुशील पारख ने कहा कि ब्यापारियों ने कोई भी मार्केट बंद नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वो लोग बस नीलामी मे हिस्सा नहीं लेंगे, उनकी मांगें लास्ट टाइम मंत्री गिरीश महाजन को दी थी। पिछली बार जिलाधिकारी के कहने पर हड़ताल दो दिन मे वापस ली थी, लेकीन उस दिन से अब तक मांगों पर कुछ नहीं हुआ है। अब मार्केट में नेफेड या राज्य सरकार प्याज खरीदे। उन्होंने कहा कि वे बातचीत करने के लिए तैयार हैं, हल निकला तो वो नीलामी में शामिल होंगे।

ये हैं जिला व्यापारी संघ की मांगें

  • बाजार समिति द्वारा लिए जाने वाले बाजार शुल्क की दर प्रति 100 रुपये पर एक रुपये के बजाय 0.50 पैसे प्रति 100 रुपये तक बढ़ाई जाए।
  • विक्रेताओं से शुल्क वसूली के लिए पूरे भारत में शुल्क दरें 04 प्रतिशत की एक ही दर पर तय की जानी चाहिए।
  • प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी ड्यूटी तुरंत रद्द की जाए।
  • प्याज की खरीद नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से मंडी परिसर में राशन के माध्यम से बेचा जाए।
  • प्याज की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को व्यापारियों को व्यापार पर 05 प्रतिशत और घरेलू परिवहन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देनी चाहिए।

वहीं कृषि उपज मंडी पिंपलगांव के अध्यक्ष और विधायक दिलीप बनकर ने कहा कि टमाटर को भाव नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हम विनती करते हैं कि व्यापारी नीलामी में शामिल हों। शेतकरी संघटन के प्रदेशाध्यक्ष संदीप जगताप ने आरोप लगाया कि किसान को दाम न मिले, इसलिए हडताल चल रही है. मार्केट बंद कर व्यापारी अपना स्टॉक प्याज मार्केट मे बेच देंगे।उन्होंने कहा कि जल्द ही इसपर किसानों का आंदोलन होगा. वहीं अब व्यापारी संघटन ने पूरे दिन जिलाधिकारी कार्यालय में बैठक की, लेकीन वह बेनतीजा रही। बाद में जिलाधिकारी जलज शर्मा ने सहकार विभाग और मंडी के डायरेक्टर को निर्देश दिए कि जो लोग नीलामी में नहीं शामिल होंगे, ऊनपर कारवाई होगी।

प्याज व्यापारी हड़ताल का दूसरा दिन

जिलाधिकारी और सहकार विभाग के जिला रजिस्ट्रार ने निलामी में शामिल न होने वाले व्यापारी पर सख्त कारवाई के आदेश दिए. नासिक के प्याज व्यापारी गुरुवार को भी निलामी में शामिल नहीं होंगे। सरकार प्रतिनिधि और व्यापारी एसोशिएशन में बुधवार को हुई मीटिंग में कोई हल नहीं निकला। सभी की सभी 17 कृषी उपज मंडियों में प्याज की निलामी नहीं हुई।

क्या होगा इस हड़ताल का असर

भारत में जून से लेकर सितंबर तक समर क्रॉप यानी रबी का प्याज बिकता है।महाराष्ट्र के नासिक, अहमदनगर, पुणे के जुन्नर और सोलापुर से पूरे भारत में यह समर क्रॉप सप्लाई होती है। सबसे ज्यादा स्टोर किया गया प्याज नासिक से सप्लाई होता है. आमतौर पर सितंबर के 15 तारीख के बाद महाराष्ट्र में खरीफ प्याज मार्केट में आता है। लेकिन इस साल मॉनसून की देरी और कम बारिश की वजह से खरीफ का प्याज देरी से लगा। नासिक में सिर्फ दो फीसदी खरीफ प्याज ही सितंबर के पहले हफ्ते तक लगा था. देर से लगा प्याज अक्टूबर के आखिरी हफ्ते के बाद ही आएगा।

नासिक का समर क्रॉप इस बार बंपर था, लेकीन अप्रैल-मई में बेमौसम बारिश ने नुकसान किया। प्याज के अंदर बारिश का पानी जाने से प्याज खराब हो गया। बहुत सारा प्याज किसानों के स्टोरेज में ही गल गया. अभी बस 10 फीसदी से 15 फीसदी प्याज बचा है वहीं किसान पर दोहरी मार है। इस साल फसल तो बंपर थी, लेकिन पहले बेमौसम बारिश ने नुकसान किया और बाद में स्टोर की गई फसल खराब होने लगी। इस वजह से किसान की लागत भी नहीं निकल पा रही है. जो माल अच्छा है उसको महज 20 रुपये किलो का भाव मिल रहा है। इससे लागत भी वसूल नहीं हो रही. किसानों का कहना है कि 2005 में भी स्टोर किया गया प्याज सितंबर-अक्टुबर में 20 रुपये किलो बेचते थे। आज भी वही दाम है. लेकिन लागत 400 गुना बढ गई है।

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स्रोत: किसान तक