क्षेत्र में प्री-मानसून ने दस्तक दे दी है, जल्द ही मानसून आमद देगा। ऐसे में किसान सोयाबीन फसल सहित अन्य खरीफ फसलों की बुआई करेंगे। ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों को खरीफ सीजन के लिए सलाह दी है।
उप संचालक कृषि आरपीएस नायक ने बताया कि जिले में सोयाबीन खरीफ फसल का रकबा 2,82,500 हेक्टेयर में लिया जाना प्रस्तावित है। जिले में सोयाबीन की सुनहरी बीन, कल्पवृक्ष, सोने का दाना, अनेक नामों से पहचानी जाने वाली फसल बड़े रकबे में लगाई जाती है, लेकिन कृषकों को अच्छी किस्म की उन्नात किस्मों का चयन एवं अच्छे अंकुरण वाली जातियों का चयन एक बहुत बड़ी चुनौतियों के साथ उनका सामना करना पड़ता है। कृषकों को सलाह दी जाती है कि खरीफ मौसम में सबसे पहले सोयाबीन की फसल का चयन भूमि जैसे कि रेतीली, लोम से लोमट मिट्टी, मध्यम जलधारण क्षमता वाली, पानी के निकास एवं जैविक कार्बन से समृद्ध भूमि सोयाबीन की अधिक उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है। साथ ही कृषक कुड़ मेड पद्धति से (रिज एंड फरो) में से एक या दो कतारों के अंतराल पर नालियां बनती है। सोयाबीन की बोवनी के लिए कतार से कतार की दूरी कम से कम 14 से 18 इंच के आसपास रखें। सोयाबीन उत्पादन करते समय किसान भाई हमेशा तीन से चार किस्मों का चयन करना चाहिए, जिससे फलियों को चटकने के नुकसान से बचा जा सकता है। साथ ही कीट-व्याधि के नियंत्रण एवं कटाई, गहराई में भी पर्याप्त समय मिलता है। सोयाबीन की बोवनी का समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह के मध्य चार से पांच इंच वर्षा होने पर ही बुआई करें। कुछ उन्नात किस्मे जैसे जेएस-9560, जेएस-20-69, जेएस-20-34, आरवीएस-2001-04, जेएस-20-94, जेएस-20-16 किस्मों का चयन कर सकते है एवं घर का रखा हुआ साफ बीजों का अंकुरण परीक्षण कर उपयोग में ले सकते है।
70 फीसद से अंकुरण हो
उपसंचालक कृषि नायक ने बताया कि किसान घर पर ही अंकुरण परीक्षण कर सकते हैं। सोयाबीन बीज का बोवनी से पहले अंकुरण परीक्षण कर न्यूनतम 70 प्रतिशत से अधिक है या नहीं यह सुनिश्चित कर लें। परीक्षण के लिए एक वर्गमीटर की क्यारी बनाकर कतारों में 45 सेंटीमीटर की दूरी पर 100 बीज बोएं एवं अंकुरण पश्चात स्वस्थ पौधों को गिन लें। यदि 100 में से 70 से अधिक पौधे अंकुरित हों तो बीज उत्तम है। अंकुरण की क्षमता का परीक्षण गिले टाट पर बीज उगाकर भी किया जा सकता है।
इस तरह करें बीजोपचार
उपसंचालक कृषि नायक ने बताया कि बीज उपचार के लिए फफूंदनाशक पेनक्लूफेन ट्रायफ्लोक्सिस्ट्रोबिन 38 एफएसएल (01 एमएल प्रति किलोग्राम) बीज या कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत या कार्बन्डाजिम दो ग्राम-प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें अथवा जैविक फफूंदनाशक ट्रायकोडर्माविर्डी आठ से 10 ग्राम-प्रति किलोग्राम बीज से भी उपचारित कर बोनी करें। अंतरवर्तीय फसल के रूप में सोयाबीन की बीज की छह कतारें एवं अरहर की दो कतारें लगाएं। मक्का एवं अरहर के लिए मक्का की चार कतारें एवं अरहर की दो कतारें, मूंगफली और उड़द के लिए दो अनुपात दो में कृषक बोवनी करें, जिससे कृषक भाई अधिक से अधिक उत्पादन कर लाभ अर्जित कर सकते हैं। साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को भी दृढ़ एवं मजबूत बना सकते हैं। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे दुकान से ही बीज खरीदें और सबसे महत्वपूर्ण है कि जो भी खरीदें उसका पक्का बिल लें, जिस पर बीज की किस्म, कंपनी, लॉट नंबर, उत्पादन एवं अंतिम तिथि लिखी होनी चाहिए। कृषक ध्यान दें अगर कहीं भी कुछ शंका हो तो नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क करें।
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स्रोत: Nai Dunia