चंबल के किसानों ने स्टाक कर ली एक लाख क्विंटल सरसों

May 26 2021

सरसों की इस बार बंपर पैदावार हुई और सरकार के कुछ फैसलों के कारण दाम भी आसमान छूने लगे हैं। बाजार में दाम सरकार के समर्थन मूल्य से लगभग दोगुना हैं। इस कारण किसानों ने सरकार को सरसों का एक भी दाना नहीं बेचा है। भाव जिस तरह बढ़ते जा रहे हैं, उसका असर यह है कि मुरैना में हजारों किसानों ने सरसों के भाव और बढ़ने की उम्मीद में एक लाख क्विंटल सरसों को स्टॉक कर रखा है।

गौरतलब है, कि राजस्थान के बाद मप्र व हरियाणा में सरसों की पैदावार देश में सबसे ज्यादा होती है। मप्र मंे जितनी सरसों होती है उसकी 70 फीसद पैदावार ग्वालियर-चंबल (मुरैना, भिंड, ग्वालियर, दतिया व श्योपुर) में होती है। मुरैना में इस बार 1 लाख 52 हजार 656 हेक्टेयर क्षेत्र में 7 लाख 50 हजार क्विंटल से ज्यादा सरसों की पैदावार हुई है। रकवा व पैदावार ने पुराने रिकार्ड तोड़ दिए, तो भाव भी पिछले साल की तुलना से लगभग दोगुने हो गए। सरकार ने समर्थन मूल्य पर सरसों के दाम 4650 रुपये प्रति क्विंटल रखा परंतु जैसे ही सरसों खेतों से कटकर कृषि मंडियों में आने लगी तो, बाजार में दाम अचानक 5000 रुपये क्विंटल पहुंच गए, जो बढ़ते हुए 7400 रुपये तक हो गए हैं। यही कारण रहा कि, मुरैना के किसी भी किसान ने समर्थन मूल्य पर सरसों नहीं बेची। जिले के किसान अब तक साढ़े पांच से पौने छह लाख क्विंटल सरसों को व्यापारियों को बेच चुके हैं। सरसों के दाम में लगातार हो रहे इजाफा को देख किसानों ने करीब एक लाख क्विंटल सरसों का स्टॉक अपने घरों में ही कर रखा है।

इस साल खर्चे नहीं, इसलिए स्टॉक करना संभव

बड़ागांव के किसान हरदयाल सिंह ने बताया कि उन्होंने 21 बीघा जमीन में सरसों की खेती की। जिसमें लगभग 92 क्विंटल सरसों हुई। दाम जब अचानक 6000 रुपये क्विंटल पहुंचे तो एक ट्रॉली यानी 30 क्विंटल सरसों बेच दी। बीच में सरसों के दाम 7400 हो गए, लेकिन बाकी 60 क्विंटल से ज्यादा सरसों और भाव बढ़ने की उम्मीद में घर में रख रखी है। गंज रामपुर गांव के केशव सिंह ने बताया कि किसानों के खर्च शादी, त्योहारों में होते हैं। कोरोना के कारण त्योहारों की धूमधाम गायब है। शादियां या तो टल रही हैं, या फिर बहुत कम खर्च में हो रही हैं।

सलिए आसमान छू रहे सरसों के दाम

केंद्र सरकार ने 8 जून 2021 से तेल कारोबारियों के मिश्रित तेल के लाइसेंस खत्म कर दिए हैं। इसके अलावा विदेशों से आने वाले पाम ऑयल, राइसब्रान आयल और सोया ऑयल पर आयात शुल्क बढ़ जाने से इन तेलों का आयात लगभग बंद हो गया है। इस कारण सरसों की मांग बाजार में इतनी बढ़ी कि तेल कारोबारियों ने सरसों का स्टॉक करना शुरू कर दिया और सरसों के दाम इतिहास में पहली बार 7000 रुपये क्विंटल से ज्यादा पहुंच गए हैं।

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: Nai Dunia