अल नीनो जैसी परिस्थितियों के बीच सरकार ने अगले महीने से शुरू होने वाले रबी सत्र में गेहूं की बुवाई के कुल रकबे के 60 प्रतिशत हिस्से में जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों की खेती करने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बावजूद 2023-24 के रबी सत्र में 11.4 करोड़ टन की रिकॉर्ड गेहूं पैदावार का लक्ष्य रखा है। एक साल पहले की समान अवधि में गेहूं का वास्तविक उत्पादन 11.27 करोड़ टन रहा था। रबी सत्र की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और इसकी कटाई मार्च एवं अप्रैल में होती है।केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने रबी फसलों की बुवाई की रणनीति तैयार करने के लिए आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, ‘‘जलवायु पारिस्थितिकी में कुछ बदलाव हुए हैं जो कृषि को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में हमारी रणनीति जलवायु-प्रतिरोधी बीजों के इस्तेमाल की है।’’ आहूजा ने इस कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम इस साल गर्मी झेल सकने वाली गेहूं की किस्मों की उपज वाले रकबे का दायरा बढ़ाकर कुल रकबे का 60 प्रतिशत करने का लक्ष्य बना रहे हैं।’’ कृषि सचिव ने कार्यक्रम में कहा कि देश में 800 से अधिक जलवायु-प्रतिरोधी किस्में उपलब्ध हैं। इन बीजों को ‘सीड रोलिंग’ योजना के तहत बीज श्रृंखला में डालने की जरूरत है। उन्होंने राज्यों से कहा कि वे किसानों को गर्मी-प्रतिरोधी किस्में उगाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी राज्यों से विशिष्ट क्षेत्रों को चिह्नित करने और उगाई जा सकने वाली किस्मों का नक्शा तैयार करने का अनुरोध करता हूं।’’ उन्होंने राज्यों को जलवायु की परिपाटी में आ रहे बदलावों से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘अगर बारिश, तापमान एवं विविधता का तरीका बदलता रहा तो इसका असर कृषि पर भी पड़ेगा।’’
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स्रोत: hindi.theprint.in