1509 धान के रेट पिछले वर्ष से 400 ज्यादा, 3600 क्विंटल बिक रहा, प्रति एकड़ 8-10 हजार का फायदा

September 08 2023

प्रदेश की अनाज मंडियों में किसानों को बासमती धान की किस्म पूसा-1509 का रेट 3600 रु. प्रति क्विंटल से भी ज्यादा मिल रहा है। यह पिछले साल के पीक सीजन से करीब 400 रु. तक ज्यादा है। पिछले साल यह पीक सीजन में 3200 रु. क्विंटल तक बिकी थी। इस बार धान की पैदावार प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल है।

ऐसे में किसानों को प्रति एकड़ 8 से 10 हजार रु. का फायदा हो रहा है। आने वाले दिनों में बासमती किस्मों के धान के रेट में तेजी आएगी या मंदा आएगा, यह न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) पर निर्भर करेगा। केंद्र सरकार ने बासमती किस्मों के धान पर एमईपी 1200 डॉलर यानी 99,864 रुपए प्रति टन तय कर रखा है।

धान निर्यातकों का कहना है कि सरकार एमईपी हटा देती है तो बासमती किस्मों के भाव में और बढ़ोतरी हो सकती है। धान की अन्य किस्मों के भाव भी अच्छे मिल सकते हैं। एमईपी तय करने से बासमती की पूसा-1509, 1718 समेत अन्य किस्मों के निर्यात में परेशानी का सामना करना पड़ता है। 1200 डॉलर के हिसाब से परंपरागत बासमती के एक्सपोर्ट में कोई दिक्कत नहीं आती, पर बासमती की अन्य किस्मों का धान निर्धारित एमईपी के हिसाब से निर्यात नहीं हो पाता।

  • विदेशों में बासमती चावल की अच्छी डिमांड, पर एमईपी की बाधा
  • विदेशों में बासमती चावल की डिमांड अच्छी है, पर एमईपी की शर्त निर्यात में बाधा बन रही है। सरकार इसे जल्द हटा लेती है तो बासमती किस्मों के भाव अच्छे रह सकते हैं। इसे हटाने की कई बार मांग कर चुके हैं।
  • -सुशील जैन, प्रधान, हरियाणा राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन

किसान बोले- पैदावार भी अच्छी

कैथल अनाज मंडी में फसल बेचने आए गांव धनौरी के किसान जस्सी ने बताया कि इस बार 1509 धान का भाव पिछले साल से अच्छा है। पैदावार व क्वालिटी भी अच्छी है। वे 1509 धान की 4 एकड़ की फसल लेकर आए थे। यह 3625 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिकी है।

बाढ़ का असर: प्रदेश में धान का कटोरा कहे जाने वाले जिलों- कैथल, अम्बाला, करनाल, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र में बाढ़ से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसके कारण इस बार बासमती धान के उत्पादन में कमी आने की संभावना है। अगर उत्पादन में कमी आएगी तो भाव बढ़ना लाजमी है।

देश में बासमती धान का सबसे ज्यादा उत्पादन हरियाणा में होता है। पिछले साल देश से 45 लाख टन बासमती चावल के निर्यात से 35 हजार करोड़ रुपए का कारोबार हुआ। जो चावल निर्यात किया गया, उसमें करीब 40% यानी 18 लाख टन हिस्सेदारी हरियाणा की रही।

प्रदेश में इस बार 15.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान है। 60% से ज्यादा बासमती किस्मों की बिजाई की हुई है। करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, अम्बाला, पानीपत, सोनीपत, जींद, रोहतक, फतेहाबाद, सिरसा, हिसार में सबसे ज्यादा धान की फसल है।

  • 45 लाख टन बासमती चावल निर्यात में 40% हिस्सेदारी हरियाणा की
  • कैथल की मंडी में पहुंचा धान।
  • जिनसे बासमती धान के रेट अच्छे रहने की संभावना

वो 4 कारण

अगला साल चुनावी: अगले साल मार्च-अप्रैल में लोकसभा का चुनाव है। प्रदेश में भी दिसंबर में 5 नगर निगम का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसलिए सरकार चाहेगी कि किसानों को अच्छे रेट मिले तो उनकी नाराजगी दूर करने में काफी सहायता मिलेगी। इसलिए सरकार ज्यादा से ज्यादा रेट बने रहे, ये प्रयास करेगी।

मोटे चावल के निर्यात पर रोक:केंद्र सरकार ने पिछले दिनों मोटे यानी परमल चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। इसके कारण बासमती के रेट अच्छे रह सकते हैं, क्योंकि जो राइस मिलर्स व निर्यातक मोटे चावल का कारोबार करते हैं, वे अब बासमती धान की ओर रुख करेंगे। इससे मंडियों में बासमती धान की डिमांड बढ़ेगी।

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स्रोत: दैनिक भास्कर