पशुओं को लू से बचाएं, भीषण गर्मी में काम लेने पर होगी कार्रवाई

May 17 2019

कृषि विशेषज्ञों ने तापमान में वृद्वि को ध्यान में रखते हुए ग्रीष्मकालीन धान व सब्जियों वाली फसलों में सिंचाई की दर बढ़ाने, उचित अंतराल पर सिंचाई करने और सिंचाई का प्रबंधन करने की सलाह किसानों को दी है। इसी तरह गर्मी को देखते हुए भूमि जनित रोगों के नियंत्रण के लिए खाली खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करने व खेतों की साफ-सफाई एवं मेड़ों की मरम्मत करने की भी सलाह दी गई है। फलदार वृक्ष लगाने के लिए अभी से गढ्ढा खोदकर छोड़ दें व बारिश के बाद रोपाई करें।

कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि रबी फसलों की कटाई के बाद खेतों में बचे फसलों के अवशेषों को जलायें नहीं बल्कि खेतों की गहरी जुताई करके इसे भूमि में दबाये, इस कार्य से जहां कृषि भूमि में जीवांश और पौषक तत्वों की मात्रा बढ़ेगी। वहीं वातावरण प्रदूषण भी नहीं होगा।

खरीफ फसल के लिए अभी से मिट्टी की जांच करा ले

कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी गई है कि वर्तमान समय अपने खेतों की मिट्टी जांच करा लें और खेतों का समतलीकरण करवा ले। अनाजों को धूप में अच्छी तरह से सुखाकर भंडारण करें। आगामी खरीफ फसल लगाने के लिए उन्नातशील प्रजातियों के बीज एवं उर्वरक की अग्रिम व्यवस्था करें। रोपा धान के खेते की मिट्टी की उर्वरा बढ़ाने के लिए किसानों को हरी खाद वाली फसले जैसे ढैंचा, सनई आदि की बुआई करने की सलाह दी गई है। जहां तक संभव हो ग्रीष्मकालीन मूंगफली, मूंग व सब्जी फसलों में धान के पैरा बिछा कर मल्चिंग करने की सलाह दी गई है।

जानवरों को धूप में निकलने से बचाए

कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि तापमान में बढ़ोत्तरी के कारण मवेशियों में लू लगने की आशंका बढ़ जाती है। किसान एवं पशुपालक अपने जानवरों को धूप में निकलने से बचाये, ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाये व जानवरों को नियमित रूप से नहलाये। पशुओं व मुर्गियों के निवास स्थल में बोरे लगा कर लू एवं गर्म हवा से बचाव आवश्यक है। यदि संभव हो तो पशु बाड़े में फौगर की व्यवस्था कर हर चार-पांच घंटे में फौगर चलाएं। पशुओं को लू लगने पर छायादार जगह ले जाकर गीले कपड़े से पूरे शरीर को बार-बार पोछे। पशु बाड़े को हवादार बनाये व गीले बारदाने लटकाकर ठंडा रखे।

पशुओं की सवारी गाड़ी व सामग्री परिवहन पर दोपहर 12 से तीन बजे तक प्रतिबंध

भीषण गर्मी और लू जैसी स्थितियों को देखते हुए पशुओं को बीमार होने व आकस्मिक मृत्यु से बचाने के लिए पशुओं की सवारी व पशुओं द्वारा खीचे जाने वाले सामग्री परिवहन पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके तहत दोपहर 12 बजे से दोपहर तीन बजे तक पशुओं पर सवारी करने अथवा टांगा, बैलगाड़ी, भैसगाड़ी आदि के माध्यम से सामग्री परिवहन प्रतिबंधित किया गया है। यह प्रतिबंध आगामी 30 जून तक प्रभावशील रहेगा। इस संबंध में कलेक्टर ने पशु चिकित्सा विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है। यह कार्रवाई पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 तथा वर्ष 1965 की कंडिकाओं के तहत की गई है।

 

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स्रोत: नई दुनिया