नाबार्ड ने इस साल बढ़ा दी उत्तराखंड की ऋण क्षमता, मुख्यमंत्री ने बताया कहां है पैसे की ज़रूरत

January 14 2020

नाबार्ड ने साल 2020-21 के लिए उत्तराखण्ड की कुल ऋण क्षमता 24,656 करोड़ रुपये तक आंकी है. इनमें से लगभग 11,802 करोड़ रुपये कृषि ऋण के लिए दिया जा सकता है. देहरादून के एक होटल में नाबार्ड के आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2020-21 में यह बताया गया. सम्मेलन में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पर्वतीय खेती के लिए सिंचाई की सुविधा पर ध्यान केंद्रित करना होगा. इसके लिए जलाशय विकसित करने होंगे. क्ल्स्टर आधारित खेती और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन की व्यवस्था भी किसानों की आय को बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है.

जलाशय बचाने ज़रूरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड भौगोलिक विषमताओं वाला प्रदेश है. पर्वतीय खेती अधिकांशतः असिंचित है. लिफ्ट सिंचाई बहुत खर्चीली होती है. इसलिए ग्रेविटी आधारित पेयजल व सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति के लिए जलाशयों का निर्माण ज़रूरी है. सूखते जलस्रोतों को देखते हुए वर्षा जल संचयन महत्वपूर्ण है. नदियों के पुनर्जीवन के लिए भी जलाशय आवश्यक हैं. चाल-खाल भी बचाने होंगे.

राज्य सरकार ने इस दिशा में शुरूआत की है. पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, देहरादून आदि जिलों में जलाशय व झीलें विकसित की जा रही हैं. इसका आने वाले समय में बहुत फायदा होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन जलाशयों के निर्माण की फंडिंग के लिए नाबार्ड को आगे आना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय को बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बहुत सी कोशिशें प्रारम्भ की गई है. किसानों को व्यक्तिगत रूप से एक लाख तक व समूह को पांच लाख तक का कृषि ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है. उत्पादों के वैल्यु एडिशन पर विशेष बल दिया जा रहा है.

उत्पाद विशेष की घाटी 

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने खेती के क्षेत्र में कई पहल की हैं. यही कारण है लगातार दो बार कृषि कर्मण पुरस्कार सहित पिछले 2 वर्षों में 6 पुरस्कार उत्तराखण्ड को मिले हैं. आर्गेनिक खेती में हम काफी आगे बढ़ चुके हैं.कृषि मंत्री ने कहा कि हॉर्टिकल्चर के लिए काश्तकारों के अल्पावधि के साथ ही मध्यम व दीर्घ अवधि के ऋण उपलब्ध कराने होंगे. पर्वतीय क्षेत्रों में नहरों की मरम्मत और जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों की फेंसिंग भी ज़रूरी है. किसानों के उत्पाद खराब न हों, इसके लिए शीतगृहों की व्यवस्था करनी होगी. ऐसी व्यवस्था भी करनी होगी जिससे किसानों को उनके उत्पादों की अच्छी कीमत मिले.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इसके लिए कोशिशें शुरू की हैं. घाटियों को उत्पाद विशेष की घाटी के तौर पर विकसित करने के प्रयास कर रहे हैं.

उच्च तकनीक कृषि है भविष्य 

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील चावला ने बताया कि वर्ष 2020-21 के लिए नाबार्ड ने उत्तराखण्ड की प्राथमिकता क्षेत्रों के लिए कुल ऋण क्षमता 24,656 करोड़ रुपये की गई है. साल 2019-20 में यह 23,423 करोड़ रुपये थी. इस साल के स्टेट फोकस पेपर का विषय ‘उच्च तकनीकी से कृषि’ है.

उच्च तकनीक वाली कृषि भविष्य की कृषि है जिसमें जैव विविधता और जैव-प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित बीज रोपण सामग्री आौर अन्य बेहतर इनपुट शामिल होंगे, जो सूक्ष्म सिंचाई, पर्यावरण के अनुकूल स्वचालन और मशीनीकरण, नैनो तकनीक के उपयोग, जलवायु पूर्वानुमान, जीपीएस, रोबोट, पायलट रहित ट्रैक्टर, ड्रोन और अन्य मशीनरी और कृषि के लिए सामान्य उपकरण, संरक्षित कृषि, मृदा रहित शहरी खेती, हाईड्रोपोनिक्स, एरोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स, किसानों की आय बढ़ाने के लिए हाई-टेक ग्रीनहाउस पर बल देती है.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, बैंकों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया.

 

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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी