नरवा, गरुआ, घुरवा और बाड़ी में शामिल है समन्वित कृषि प्रणाली

March 18 2019

जैविक खेती में किसान कई फसल लेने के साथ-साथ पैदावार और अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं। राज्य शासन के नरवा, गुरुआ, घुरवा और बाड़ी संरक्षण अभियान के माध्यम से प्रदेश में खुशहाली लाने की बात की जा रही है। इसमें समन्वित कृषि प्रणाली शामिल है। किसान रासायानिक दवाओं का उपयोग किए बगैर उन्नत खेती कर सकते हैं। कम रकबा वाले कृषक भी बेहतर खेती को लेकर निराश होने के बजाय इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में संचालित समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाएं। इससे सिर्फ एक नहीं, बल्कि विभिन्न तरह की सम्मिलित खेती कर सकते हैं। ज्ञात हो कि इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस योजना के सीमित रकबे में तहत पारंपरिक खेती के साथ बकरी पालन, पशुपालन, साग-सब्जियों की पैदावार की जा सकती है।

नवाचार के तहत खेती

कृषि विवि के अखिल भारतीय समन्वित कृषि प्रणाली अनुसंधान से जुड़े कृषि वैज्ञानिक डॉ. महेश भामारी के अनुसार कड़कनाथ के चूजे कांकेर कृषि विज्ञान केंद्र से लाए जाते हैं। इन्हें लगभग पांच महीने बाद बेचा जाता है। ठीक इसी तरह से विभाग में योजना के अंतर्गत लगभग एक एकड़ क्षेत्र में विभिन्न तरह की फसलें लगाई गई हैं। इसका उद्देश्य किसानों को प्रशिक्षण देना है। कृषि वैज्ञानिकों, छात्र-छात्राओं एवं शोधकर्ताओं के माध्यम से जैविक खेती पर विशेष फोकस करते हुए नवाचार पर कार्य शुरू किया जा रहा है।

 

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स्रोत: नई दुनिया