देशभर में पहुंचेगी कश्मीरी सेब की खुशबू और मिठास

September 07 2019

घाटी के सेब की खुशबू और मिठास इस बार भी देश के आम लोगों की पहुंच में होगी। राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने के बाद उत्पन्न हालात के बीच राज्य प्रशासन ने कश्मीरी सेब को देशभर की मंडियों में पहुंचाने के पर्याप्त इंतजाम किए हैं। इसके तहत दक्षिणी और उत्तरी कश्मीर में मंडियों में ट्रांसपोर्टेशन तथा अन्य संसाधनों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। 

सेब उत्पादकों के लिए समर्थन मूल्य के घोषणा की भी तैयारी है। इससे जुड़े कारोबारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में स्थिति में और सुधार आएगा और बिना किसी रोक टोक के कश्मीरी सेब देशभर की मंडियों में पहुंचेगा।  

दक्षिणी कश्मीर के सभी जिलों अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां व कुलगाम, उत्तरी कश्मीर में बारामुला व कुपवाड़ा तथा श्रीनगर व  बडगाम में सेब की खेती होती है। डिलेशियस, रेड एप्पल व रसभरी प्रजाति के सेब अब लगभग तैयार हो चले हैं। शोपियां के सेब सबसे  अच्छी प्रजाति के माने जाते हैं। यहां 15 सितंबर से फसल तोड़ने की तैयारी है। 

पुलवामा के उत्पादक गुलाम मोहम्मद का कहना है कि एक बड़ी आबादी सेब की फसल पर निर्भर है। सालभर इसी कमाई से फल उत्पादकों तथा इसके वितरण से जुड़े लोगों का गुजारा चलता है। इस बार मौसम अनुकूल होने से बंपर पैदावार हुई है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में स्थिति सामान्य होगी और फसल को देशभर में बेचा जा सकेगा। प्रशासन ने भी बैठक कर मंडियां उपलब्ध कराने तथा ढुलाई के लिए पर्याप्त संख्या में ट्रकों के इंतजाम का भरोसा दिलाया है। 

एक अन्य उत्पादक बशीर अहमद का कहना है कि किसानों ने फल की बिक्री की पूरी तैयारी कर ली है। सेब को तोड़ने के काम में चूंकि स्थानीय मजदूर ही लगते हैं। इस वजह से बाहरी मजदूरों के जाने का फसल की तोड़ाई पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बस हालात सामान्य रहे तो सब कुछ ठीक निकल जाएगा। 

घाटी में औसतन 22 लाख टन सेब का सालाना उत्पादन होता है।  इससे सात लाख किसान जुड़े हुए हैं। राजभवन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पांच अगस्त को विशेष दर्जे की समाप्ति के बाद उत्पन्न हालात के बीच राज्य सरकार ने इससे जुड़े किसानों को राहत देने के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा करने का फैसला किया है। 

फल उत्पादकों को किसी प्रकार के नुकसान से बचाने के लिए नैफेड से बातचीत की गई है जो कश्मीर में 500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। वह कुल उत्पादन का 50 फीसदी खरीद करेगा। सभी जिला प्रशासन को हिदायत दी गई है कि वे सेब के लिए मंडियों तथा माल ढुलाई के लिए पर्याप्त साधन की व्यवस्था करें। साथ ही सुरक्षा का मुकम्मल प्रबंध हो ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी न होने पाए। 

रातोरात सेब लदे ट्रकों को निकालने की तैयारी 

मंडियों में सेब से लदे ट्रकों को रातोंरात घाटी से बाहर निकालने की तैयारी है ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी न होने पाए। यह आशंका जताई जा रही है कि दिन के उजाले में फल लदे ट्रकों पर पथराव हो सकता है। इस वजह से रात के अंधेरे में जवाहर टनल के पार सेब लदे ट्रकों को भेज दिया जाए। 

वर्ष 2016 में जब हिजबुल आतंकी बुरहान वानी मारा गया था तो उस समय भड़की हिंसा के बाद भी फल से लदे ट्रकों को रात में ही घाटी से बाहर के लिए रवाना किया जाता था। हालांकि, इस बार किसी भी आतंकी संगठन या किसी अनय संगठन की ओर से फल उत्पादकों को किसी प्रकार की धमकी नहीं दी गई है। इसके बाद भी मुकम्मल तैयारी की जा रही है ताकि कारोबार पर कोई असर न पड़े।

 

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स्रोत: अमर उजाला