दूसरे चरण में इंदौर जिले के 10 हजार 647 किसानों का होगा ऋण माफ

February 05 2020

इंदौर जिले में जय किसान फसल ऋण माफी योजना के दूसरे चरण की शुरुआत गत दिनों सांवेर में आयोजित समारोह में की गई। जिसमें इंदौर जिले के प्रभारी तथा गृह मंत्री श्री बाला बच्चन, स्वास्थ्य मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट तथा कृषि मंत्री श्री सचिन यादव उपस्थित थे। इसमें सांवेर क्षेत्र के 2 हजार 455 किसानों के 18 करोड़ रूपये से अधिक के ऋण माफी के प्रमाण पत्र वितरित किए । जिले में दूसरे चरण में 10 हजार 647 किसानों का 77 करोड़ 74 लाख रूपये का ऋण माफ किया जा रहा है।

इस मौके पर श्री बाला बच्चन ने कहा कि इस योजना के पहले चरण में 20 लाख 22 हजार 731 किसान लाभान्वित हुए हैं। इनका 7154 करोड़ रूपये का ऋण माफ किया जा चुका है। आगामी चरण में 7 लाख 3 हजार 129 किसान लाभान्वित होंगे। इनकी 4489 करोड़ रूपये की ऋण माफी की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कहा प्रदेश में स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि के क्षेत्र में तेजी से कार्य हो रहे हैं।

कृषि मंत्री श्री सचिन यादव ने जानकारी दी कि अगर किसानों को उनकी उपज का उचित दाम नहीं मिले तो वह अपनी उपज मंडियों में चार माह तक नि:शुल्क भण्डारण कर सकते हैं। भण्डारित उपज पर उन्हें ऋण भी दिलाया जायेगा। मंडियों में सुविधाओं के विस्तार कर। प्रदेश में जैविक खेती विशेषकर गौ-घटकों पर आधारित खेती को बढ़ावा दिया जायेगा। नकली तथा अमानक खाद-बीज एवं कीटनाशी औषधि बनाने तथा बेचने वालों के विरूद्ध शुद्ध के लिये युद्ध अभियान के तहत कड़ी कार्यवाही की जा रही है। प्रारंभ में कलेक्टर श्री लोकेश कुमार जाटव ने इंदौर जिले में किये जा रहे अभिनव प्रयासों की जानकारी दी। इस आयोजन में जिला पंचायत की सीईओ श्रीमती नेहा मीणा , इंदौर दुग्ध संघ के अध्यक्ष श्री मोती सिंह पटेल सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

गृह मंत्री श्री बाला बच्चन, स्वास्थ्य मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट तथा कृषि मंत्री श्री सचिन यादव ने इंदौर जिले के गारी पिपलिया गाँव में किसानों द्वारा की जा रही गेहूं की उन्नत खेती को भी देखा और कहा कि गारी पिपलिया में विशेष प्रयास कर इसे गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में देश में अव्वल बनाया जायेगा। इसके लिये किसानों को विभिन्न कृषि आदान, तकनीकी सलाह आदि देकर विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। इस गाँव में लगभग सौ हेक्टेयर से अधिक रकबे में गेहूं की उन्नत खेती की जा रही है।


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स्रोत: कृषक जगत