जलवायु परिवर्तन के साथ परंपरागत खेती से रूबरू कराता है कृषि संग्रहालय

April 15 2020

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में देश का सबसे बड़ा कृषि संग्रहालय है। यह जहां जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या के बारे में बताता है, वहीं छत्तीसगढ़ की परंपरागत और आधुनिक खेती से छात्रों को रूबरू कराता है। संग्रहालय को आठ क्षेत्रों में बांटा गया है। इन आठ क्षेत्रों में भूमि, पानी, जंगल, जनसंख्या, परंपरागत कृषि, क्लाइमेट चेंज, बॉयोडायवर्सिटी और कृषि नीति व मुद्दों की संपूर्ण जानकारी है। कृषि विवि ने अपने कार्यों से देश भर में पहचान बनाई है। इसलिए कृषि संग्रहालय देखने के लिए प्रदेश भर से किसान आते हैं।

कृषि विवि के कुलपति डॉ. एसके पाटिल के अनुसार नवीनतम सूचना प्रणाली और संचार तकनीक से लैस यह संग्रहालय देश का पहला सबसे बड़ा आधुनिक कृषि संग्रहालय है। इसका उद्घाटन 2 अप्रैल 2016 को छत्तीसगढ़ के तत्कालीन राज्यपाल बलरामजी दास टंडन, केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और राज्य के कृषि मंत्री बृहमोहन अग्रवाल के हाथो हुआ था। इसकी सबसे खास बात यह है कि आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक के खेती-किसानी से संबंधित कार्य वीडियो, कलर फोटो, एलबम, एलसीडी और पुस्तक के माध्यम से उपलब्ध हैं। ऑटोमेटिक लर्निग मशीन की भी सुविधा है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, सेमिनार में आने वाले किसानों को जहां संग्रहालय रोमांचित करता है, वहीं उन्हें नई तकनीक की जानकारी देता है।

दो एकड़ से अधिक जमीन पर बना परिसर

विवि के अधिकारियों के अनुसार कृषि संग्रहालय परिसर दो एकड़ से अधिक जमीन पर बना है। यहां चार हजार वर्गफीट से अधिक जमीन पर दोमंजिला भवन बनाया गया है। ग्राउंड फ्लोर पर फल, फूल के साथ फसल भी लगाई गई है। ताकि यहां आने वाले लोगों को कृषि से जुड़ी सभी जानकारी एक जगह उपलब्ध हो सके। इसे देश का सबसे बड़ा संग्रहालय इसलिए कहा जाता है क्योंकि किसी भी संस्थान ने इतनी बड़ी जमीन पर संग्रहालय विकसित नहीं किया है। अन्य संस्थानों में कृषि से संबंधित सभी फसल, इतिहास या भविष्य की तकनीक के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती। कुलपति डॉ. पाटिल ने संग्रहालय को विद्यार्थियों, शोध छात्रों और किसानों के लिए काफी फायदेमंद बताया।

30 लोग देख सकेंगे 15 मिनट का शो

भूमि, पानी, जंगल और परंपरागत खेती जैसे आठ क्षेत्रों की जानकारी वीडियो के माध्यम से देखी जा सकती है। पूर्वज जुताई के लिए किस औजार का उपयोग करते थे, जंगल में आग लग गई तो काबू कैसे पाएं, कृषि सिंचाई में पानी का कम से कम उपयोग कैसे करें और जैविक खेती के फायदे सहित कृषि के लिए मवेशियों की उपयोगिता की जानकारी भी वीडियो के माध्यम से दी जाती है। हर घंटे 15 मिनट का शो होता है, जिसमें 30 व्यक्ति बैठकर इन क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

23 हजार धान किस्मों को देखेंगे

देश में सबसे अधिक धान की 23 हजार किस्में छत्तीसगढ़ में हैं। इन्हें पेटेंट कराने के लिए विवि स्थित डॉ. आरएच रिछारिया अनुसंधान प्रयोगशाला में काम चल रहा है। लैब के कार्यों को भी यहां आने वाले लोगों को दिखाया जाएगा। संग्रहालय में इन किस्मों को रखने की तैयारी भी की जा रही है, ताकि जिन क्षेत्रों में उक्त किस्म ज्यादा विकसित होते हैं, वहां के किसान इसकी खेती कर फायदा उठा सकें। लीची और लाखड़ी की अनेक किस्मों के लिए भी राज्य का नाम सबसे ऊपर है।

वर्सन

संग्रहालय के माध्यम से विद्यार्थियों, शोध छात्रों और किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। पूर्वज जुताई के लिए किस औजार का उपयोग करते थे, जंगल में आग लग गई तो काबू कैसे पाएं आदि तमाम विषयों पर अच्छी जानकारी मिलती है।

डॉ. एसके पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विवि रायपुर


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स्रोत: नई दुनिया