जम्मू में तैयार गेहूं की नई किस्में लाएंगी क्रांति, कई राज्यों को ट्रायल के लिए भेजा

October 25 2019

रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं का जम्मू में तैयार नया बीज कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। शेरे कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी जम्मू (स्कास्ट-जे) ने सिंचित और गैर सिंचित क्षेत्र के लिए गेहूं की दो उन्नत किस्में तैयार की हैं। 

सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्र में जम्मू गेहूं-584 और बारिश पर निर्भर इलाकों में जम्मू गेहूं-598 बीज लगाने से रिकार्ड उपज ली जा सकेगी। वर्तमान में दिल्ली 2967 एचडी-30 की पैदावार सर्वाधिक (30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) है। 

जबकि जम्मू गेहूं किस्म प्रति हेक्टेयर 50 से 60 क्विंटल की पैदावार देती है। तमाम ट्रायल सफल होने के बाद स्कास्ट-जे ने अब बीज को हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में ट्रायल के लिए भेजा है। 

स्कास्ट-जे ने वर्ष 2012 में नई किस्म की गेहूं का बीज तैयार करने पर शोध शुरू किया था। पांच साल शोध के बाद से बीज फील्ड ट्रायल पर है। स्कास्ट की ओर से बीज को इस सीजन में भी फिर से ट्रायल पर वितरित किया गया है। इसे स्कास्ट-जे के स्टोर और कृषि बिक्री केंद्रों पर उपलब्ध करवाया गया है। यह बीज पर्वतीय क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है।

चार लाख 20 हजार हेक्टेयर भूमि में होती सिंचाई 

जेएंडके में सिंचाई वाला इलाका 1 लाख 20 हजार हेक्टेयर है। यहां पर जम्मू गेहूं-584 उगाई जा सकेगी। राज्य में सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर इलाका 3 लाख हेक्टेयर के आसपास है। यहां पर जम्मू गेहूं-598 गेहूं उगाई जाएगी। 

सफेद होगा आटा

दोनों उन्नत किस्मों का आटा सफेद रंग का होगा। इसके पकने पर सुगंध भी आती है। इन दोनों खूबियों के चलते नई किस्मों के आटे की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

जम्मू गेहूं-584 व 598 किस्मों के नतीजे उम्मीद के मुताबिक रहे हैं। ट्रायल का यह दूसरा वर्ष है। उत्तर भारत के राज्यों में बीज भेजा गया है। आगामी सीजन से इस किस्म के बीज की खेती प्रदेश में की जाएगी। इससे पैदावार में काफी इजाफा होगा। 

- जेपी शर्मा, रिसर्च निदेशक, स्कास्ट-जे

 

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स्रोत: अमर उजाला