चारे की कमी दूर करने के लिए कृषि केंद्रों में नई फसलों को मिलेगा बढ़ावा

September 28 2019

छत्तीसगढ़ प्रदेश समेत राजधानी के आसपास के गांवों में एक तरफ जहां मवेशियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं ठीक इसी तरह से किसानों के सामने चारा की दिक्कतें शुरू हो गई हैं। इससे ग्रामीण समेत शहर के पशुपालकों में हरा-चारा को लेकर चिंता बढ़ गई है। वहीं छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय, अंजोरा, दुर्ग ने मौजुदा समस्यां को देखते हुए विवि में कई तरह के हरे चारा की पैदावार शुरू किया है, जिससे पशुओं में चारे की दिक्क्त कम होने के साथ लंबी अवधि के लिए पशुपालकों को राहत मिलेगी। विवि के कुलपति डॉ. एनपी दक्षिणकर ने बताया कि प्रदेश में हरे चारा की परेशानी को लेकर कई किसानों के माध्यम से सामने आई है।

इस पर विवि की सर्वे टीम ने सर्वे करने के बाद पाया कि वाकई जिस प्रकार मवेशियों की संख्या बढ़ रही है। उससे हरे चारे की मांग वाकई बढ़ेगी। इसलिए विवि ने इस पर फोकस करते हुए कैंपस में लगभग 40 से अधिक हरे चारा की प्रजातियों को तैयार कर रहा है। साथ ही कृषि केंद्रों में इसे बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है।

धान की अधिक पैदावार

छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक रकबा धान का है, जिससे किसान इसकी पैदावार लेने के बाद अधिकांश खेत खाली छोड़ देते है, क्योंकि मवेशियों का भी डर रहता है। वहीं हार्वेस्ट्रींग सिस्टम का अधिक चलन होने के कारण भी पर्याप्त हरा चारा तैयार नहीं होता है। विवि में तैयार हो रही हरे चारे की फसल प्रदेश के मौसम अनुकूल है। जिससे बाजारा नेपियर संकर घास, सिटोरिया घास, मार्बल घास जैेसे कई हरे चारे तैयार हो रहे है। जिससे किसानों को प्रशिक्षण के माध्यम से इनकी पैदावार की ट्रेनिंग दिया जाएगा।

 

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स्रोत: नई दुनिया