गुजरात के किसानों पर दर्ज़ केस वापस लेगी पेप्सिको इंडिया

May 03 2019

पेप्सिको इंडिया ने गुजरात में आलू की खेती करने वाले किसानों पर बीज के कॉपीराइट के उल्लंघन का केस दर्ज़ किया था.

हालांकि किसानों के वकील आनंद याज्ञनिक ने बीबीसी गुजराती को बताया कि अभी तक उनके पास केस को वापस लिये जाने की कोई सूचना नहीं आई है.

कंपनी ने अप्रैल के महीने में चार किसानों पर एफसी5 किस्म के आलू उगाने को लेकर उन पर मुकदमा दर्ज़ किया. कंपनी का कहना है कि आलू के इस किस्म का वो लेज (LAYS) चिप्स बनाने में इस्तेमाल करती है, और इस किस्म के आलू को उसने भारत में रजिस्टर करा रखा है.

कंपनी का कहना है कि बिना इजाज़त लिए किसान इस किस्म के आलू की खेती नहीं कर सकते.

इसके बाद कंपनी ने इस किस्म के आलू की बिना इजाज़त बुआई करने वाले किसानों पर भारत में केस दर्ज़ किया था.

किसानों पर किए गए केस को लेकर किसान संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया है और केस वापस लेने की मांग की थी.

190 से ज़्यादा कार्यकर्ताओं ने एक पत्र केंद्र और राज्य सरकार को भेजा है जिसमें कहा गया है कि सरकार, पेप्सिको से केस वापस लेने के लिए कहे.

कंपनी ने क्या कहा?

गुरुवार को कंपनी के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, "पेप्सिको पिछले 30 सालों से भारत में है. इन वर्षों में, कंपनी ने क्लास कोऑपरेटिव आलू की खेती कार्यक्रम के जरिये एक बेहतरीन किस्म विकसित किया इससे देश भर के हज़ारों किसानों को लाभ मिला है. इस कार्यक्रम में बाज़ार को लेकर जागरूकता जैसे पहल शामिल हैं ताकि किसानों की पैदावार अच्छी हो और उन्हें अपनी फ़सलों की उचित कीमत मिले जिससे और वो अपनी आजीविका बेहतर बना सकें."

उन्होंने कहा, "किसानों के बड़े हित को देखते हुए पेप्सिको इंडिया को इस रजिस्टर्ड किस्म की विविधता की रक्षा के लिए क़ानूनी सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. पेप्सिको ने शुरू से ही किसानों को एक सौहार्दपूर्ण समाधान देने की पेशकश की थी."

प्रवक्ता ने कहा, "सरकार से चर्चा के बाद, कंपनी किसानों के ख़िलाफ़ मामला वापस लेने के लिए राजी हो गई है. हम आलू के इस किस्म की सुरक्षा को देखते हुए एक दीर्घकालिक समाधान ढूंढने को लेकर बातचीत पर भरोसा कर रहे हैं. कंपनी उन हज़ारों किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है जिनके साथ हम देश भर में काम करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि किसान बेहतरीन कृषि पद्धतियों को अपनाएं."

लेज चिप्स का यह आलू कहां से आया?

डीसा आलू रिसर्च केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आरएन पटेल कहते हैं आलू के इस किस्म को अमरीका में 2003 में विकसित किया गया था. भारत में इसे एफ़सी5 के नाम से पहचाना जाता है. उन्होंने बताया, इसके सभी लक्षण प्रोसेसिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले आलू के लायक बनाए गए हैं.

वो बताते हैं, पेप्सिको कंपनी किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फ्रार्मिंग करती है जिसके तहत वो किसानों को खास प्रकार का बीज देती है और उनसे 40 से 45 मिलीमीटर के व्यास वाला आलू लेती है, उससे छोटे आकार का आलू नहीं लेती है.

गूगल पेटेंट्स के मुताबिक एफ़सी5 किस्म के आविष्कारक रॉबर्ट हूप्स हैं और अमरीका में 2003 में फ्रीटोले नॉर्थ अमरीका इंक नामक कंपनी से इसका पेटेंट करवाया गया था. पेटेंट 2023 तक के लिए है.

डॉ. आरएन पटेल कहते हैं कि जब भी किसी बीज की रजिस्ट्री की जाती है तो उस पर विशेष अधिकार 20 सालों के लिए मिलता है और इस समायवधि के बाद कोई भी बिना इजाज़त या रॉयल्टी के बगैर इस बीज का इस्तेमाल कर सकता है.

 

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स्रोत: बी.बी.सी.