कृषि विवि ने पथरीली जमीन पर उगाया तीन वेरायटी का काजू, पड़ोसी राज्य को दिए पांच लाख पौधे

December 18 2019

छत्तीसगढ़  प्रदेश के किसान अब अन्य राज्यों में पैदा हो रही काजू की खेती भी जिले में ले सकेंगे। इस तरह का सफल प्रयोग इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने जगदलपूर जिले के लामकेर की पथरीली जमीन पर काजू की तीन नई वैरायटी इजात कर दिखाया है। जिसकी पैदावार से किसानों की सिर्फ आय ही नहीं बढ़ेगी, बल्की अन्य राज्यों से बेहतर पैदावार होगा। यहां के किसान नदी के किनारे खेत होते हुए भी केवल मानसूनी बारिश पर निर्भर रहते हुए धान की खेती कर रहे थे। जिससे उनकी आय में बढोतरी नहीं हो पा रही है, वहीं कृषि वैज्ञानिकों ने इस गांव के 120 किसानों को काजू की सामूहिक खेती करने की सलाह दी। जिसका परिणाम काफी सकारात्मक रहा। ज्ञात हो कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के जगदलपुर जिले में संचालित कृषि कॉलेज एवं अनुसंधान केंद्र को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली में अखिल भारतीय समन्वित काजू अनुसंधान परियोजना के तहत बेस्ट सेंटर अवार्ड 2019 के रूप में सम्मान किया गया है।

समय से पूरा किया लक्ष्य

इस केंद्र को यह अवार्ड परीक्षण के लिए दिये गए लक्ष्य को समय से पहले पूर्ण करने के साथ विदेशों में भी एक्सपोर्ट होने वाली वैरायटी तैयार किया है। इंडियन केशियो एप में सबसे अधिक सहभागिता देने एवं अनुसंधान की रिपोर्ट समय पर काजू अनुसंधान निदेशालय को भेजने जैसी अन्य महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखते हुए प्रदान किया गया है। केवीके जगदलपुर को यह सम्मान उद्यानिकी विवि बागलकोट (कर्नाटक) में आयोजित अखिल भारतीय समन्वित काजू अनुसंधान परियोजना के वार्षिक सम्मेलन में दिया गया।

इजात काजू की तीन किस्म

  • इंदिरा काजू-1 किस्म
  • वेन्गुर्ला-4
  • वेन्गुर्ला-7

1996 में प्रारंभ हुई परियोजना

केवीके जगदलपुर में इस परियोजना का प्रारंभ वर्ष 1996 में किया गया था। काजू की इंदिरा काजू-1 किस्म विकसित की गई है, जो एक्सपोर्ट क्वालिटी की है। किस्म की औसत उपज 12 से 14 किलो प्रति पौधा होती है। इस किस्म के नट बड़े औसतन 10 ग्राम के होते हैं और काजू गिरी का वजन 2.85 ग्राम होता है। फल भी बड़े आकार के होते हैं व फल में जूस की मात्रा भी अधिक होती है। वर्ष 2014 से 2016 तक ग्राफ्ट तकनीक से तीन लाख से अधिक ग्राफ्ट वेन्गुर्ला-4, इंदिरा काजू-1 एवं वेन्गुर्ला-7 काजू पौधों की किस्म विकसित किया गया।

14 अनुसंधानों में रहा बेहतर

वर्तमान में केन्द्र द्वारा पांच लाख पौधे तैयार कर ओड़िशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और झारखण्ड राज्यों को दिये गये हैं। अखिल भारतीय समन्वित काजू अनुसंधान परियोजना के वार्षिक सम्मेलन में 9 राज्यों के 14 अनुसंधान केन्द्र सम्मिलित हुए ।जिसमें कृषि महाविद्यालय जगदलपुर में संचालित काजू अनुसंधान परियोजना का बेहतर प्रदर्शन रहा। वहीं इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अतिरिक्त महानिदेशक (बागवानी) डॉ. डब्ल्यूएस ढिल्लन एवं काजू अनुसंधान परियोजना के निदेशक डॉ. रामजी नायक सहित केवीके जगदलपुर में संचालित काजू अनुसंधान परियोजना के प्रमुख अनवेषक डॉ. विकास रामटेके उपस्थित रहे। कृषि विवि के कुलपति डॉ. एसके पाटील ने परियोजना के वैज्ञानिकों को बधाई एवं शुभकामना दी है।

 

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स्रोत: नई दुनिया