कृषि में परमाणु ऊर्जा के उपयोग से नई क्रांति की शुरुआतः डॉ. पाटील

May 11 2019

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (बार्क) मुम्बई के संयुक्त तत्वावधान में कृषि कॉलेज रायपुर के संगोष्ठी कक्ष में धान की उत्परिवर्तित (म्यूटेन्ट) किस्मों पर एक दिवसीय कृषक कार्यशाला का आयोजन किया गया । इसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्ना जिलों से आये प्रगतिशील कृषकों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला की अध्यक्षता विवि के कुलपति डॉ. एसके पाटील ने की। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोर्ड ऑफ रिसर्च इन न्यूक्लियर साइंसेस, बार्क, मुम्बई के अध्यक्ष डॉ. एसएफ डिसूजा, बीम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट गु्रप बार्क के सह निदेशक डॉ. वीपी वेणुगोपालन, बायोसाइंस ग्रुप उपस्थित थे। कार्यशाला में कृषकों को विश्वविद्यालय द्वारा बार्कमुम्बई के सहयोग से विकसित धान की उत्परिवर्तित किस्म ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेन्ट-1 के विकास और उत्पादन विधि की जानकारी दी गई। विवि के कुलपति डॉ. एसके पाटील ने कहा कि आज-कल कृषि में परमाणु ऊर्जा का उपयोग बढ़ता जा रहा है। फसलों के अवांछित गुणों को हटाने और वांछित गुणों को उत्पन्ना करने के लिये परमाणु ऊर्जा का उपयोग हो रहा है।

50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन

विश्वविद्यालय द्वारा बार्क मुम्बई के सहयोग से परमाणु ऊर्जा के उपयोग से दुबराज धान की म्यूटेन्ट किस्म ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेन्ट-1 विकसित की गई है। रेडिएशन द्वारा विकसित इस किस्म में पौधों की ऊंचाई में कमी की गई है और उत्पादकता में वृद्धि की गई है। दुबराज की यह बौनी किस्म लगभग 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन दे रही है। अब किसानों के खेतों पर इसका परीक्षण किया जा रहा है। उम्मीद जताई कि यह किस्म छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए उपयोगी साबित होगी। विश्वविद्यालय ने इन किस्मों की पहचान, संकलन और संरक्षण हेतु सराहनीय कार्य किया है।

 

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स्रोत: नई दुनिया