कृषि में करें बायोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, बढ़ेगा उत्पादन

January 10 2020

एनआइटी रायपुर के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के तत्वाधान में पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसका विषय बायोकेमिस्ट्री एवं बायोटेक्नोलॉजी है। सम्मेलन आयोजित करने का मकसद है एनआइटी के छात्रों को कृषि के क्षेत्र नई टेक्नोलॉजी से रूबरू करवाना। इससे टेक्नोलॉजी से किस प्रकार किसानों को फायदा पहुंचाया जाए, इस पर जोर दिया गया। देश-विदेश के विशेषज्ञों ने इस फील्ड में की नई तकनीक और नए शोध से अवगत करवाया।

पांच दिनों में देश-विदेश से आए एक्सपर्ट अपनी बात रखेंगे। शोधार्थी शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता मलेशियन बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन सेंटर के डायरेक्टर डॉ. महालेचुमी अर्जुनन ने बताया कि बायोटेक्नोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री को अगर कृषि में इस्तेमाल किया जाए तो बहुत फायदा होगा। उन्होंने कहा कि आज जरूरी है इस क्षेत्र में छात्रों, शोधार्थियों को आगे आना होगा और किसानों के लिए काम करना होगा। उन्होंने छात्रों और सम्मेलन में मौजूद प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए महिला सशक्तीकरण की बात कही। बताया कि ऐसे सम्मेलन से छात्रों को कैरियर बनाने में काफी मदद मिलेगी। एनआइटी रायपुर के डॉयरेक्टर डॉ. एएम रवानी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और वह बाकी के विभागों से भी ऐसे सम्मेलन के आयोजन की उम्मीद करते हैं, ताकि छात्रों का पूर्ण विकास हो सके।

इस अवसर पर सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ. प्रतिमा गुप्ता, एचओडी बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट, कार्यकारी सचिव डॉ. लता उपाध्याय और डॉ. जेसत्या ईश्वरी ने कार्यक्रम का संचालन किया। देश भर से लगभग 50 प्रतिभागियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन में बायोटेक्नोलॉजी एवं बायोकेमिस्ट्री के विषय पर शोध पत्र और अपने बात रखेंगे।

बायोकेमिस्ट्री और बायोकेमिस्ट्री में ग्राउंड लेबल का रिसर्च

सम्मेलन के मुख्य वक्ता मलेशिया के डॉ. महालेचुमी अर्जुनन ने बताया बायोटेक्नोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री का इस्तेमाल कर कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सकता है। बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत से शोध हुए हैं, लेकिन वह जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाया। जरूरी है कि ऐसे शोध किया जाए जो जमीनी स्तर का हों, जिससे सीधे किसानों को फायदा मिले। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए ऐसी टेक्नोलॉजी ईजाद की जा रही है, जिससे खेते या फसलों पर कीटनाशक दवाइयों का झिड़काव किया जाता था उससे बच सकेंगे और इससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव से भी बचा जा सकता है।

मलेशिया के अपेक्षा भारत के लोगों का खानपान सही

डॉ. महालेचुमी ने बताया कि भारत कृषि प्रधान देश है। यहां के नागरिकक खान-पान में भी अपने को काफी अपडेट रखते हैं। स्वास्थ्य का सही रखने के लिए जरूरी है समय से भोजन करना और सोना। लेकिन मलेशिया में 24 घंटे होटल खुले रहते हैं। इससे लोगों के खाने का कोई निश्चित समय नहीं होता। इसका वहां के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।


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स्रोत: नई दुनिया