एनआइटी रायपुर के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के तत्वाधान में पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसका विषय बायोकेमिस्ट्री एवं बायोटेक्नोलॉजी है। सम्मेलन आयोजित करने का मकसद है एनआइटी के छात्रों को कृषि के क्षेत्र नई टेक्नोलॉजी से रूबरू करवाना। इससे टेक्नोलॉजी से किस प्रकार किसानों को फायदा पहुंचाया जाए, इस पर जोर दिया गया। देश-विदेश के विशेषज्ञों ने इस फील्ड में की नई तकनीक और नए शोध से अवगत करवाया।
इस अवसर पर सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ. प्रतिमा गुप्ता, एचओडी बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट, कार्यकारी सचिव डॉ. लता उपाध्याय और डॉ. जेसत्या ईश्वरी ने कार्यक्रम का संचालन किया। देश भर से लगभग 50 प्रतिभागियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन में बायोटेक्नोलॉजी एवं बायोकेमिस्ट्री के विषय पर शोध पत्र और अपने बात रखेंगे।
बायोकेमिस्ट्री और बायोकेमिस्ट्री में ग्राउंड लेबल का रिसर्च
सम्मेलन के मुख्य वक्ता मलेशिया के डॉ. महालेचुमी अर्जुनन ने बताया बायोटेक्नोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री का इस्तेमाल कर कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सकता है। बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत से शोध हुए हैं, लेकिन वह जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाया। जरूरी है कि ऐसे शोध किया जाए जो जमीनी स्तर का हों, जिससे सीधे किसानों को फायदा मिले। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए ऐसी टेक्नोलॉजी ईजाद की जा रही है, जिससे खेते या फसलों पर कीटनाशक दवाइयों का झिड़काव किया जाता था उससे बच सकेंगे और इससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव से भी बचा जा सकता है।
मलेशिया के अपेक्षा भारत के लोगों का खानपान सही
डॉ. महालेचुमी ने बताया कि भारत कृषि प्रधान देश है। यहां के नागरिकक खान-पान में भी अपने को काफी अपडेट रखते हैं। स्वास्थ्य का सही रखने के लिए जरूरी है समय से भोजन करना और सोना। लेकिन मलेशिया में 24 घंटे होटल खुले रहते हैं। इससे लोगों के खाने का कोई निश्चित समय नहीं होता। इसका वहां के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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स्रोत: नई दुनिया