कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मध्य प्रदेश में गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से किसान खरीफ फसलों के लिए सहकारी बैंकों का लिया कर्ज भी नहीं चुका पा रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए शिवराज सरकार ने किसानों को कर्ज चुकाने के लिए समय देने का सैद्धांतिक निर्णय कर लिया है। सहकारिता विभाग ने कर्ज अदायगी की अंतिम तारीख 28 मार्च को बढ़ाकर 30 अप्रैल करने का प्रस्ताव भेज दिया है। फाइल अंतिम निर्णय के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास पहुंच गई है। इस पर अंतिम निर्णय आज-कल में हो सकता है।
मंडियां बंद, व्यापारी नहीं कर रहे अनाज की खरीदी : मार्च में रबी फसलें आने लगती हैं और मंडियों में खरीदी का काम शुरू हो जाता है लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लॉकडाउन के कारण मंडियां बंद हैं। परिवहन में परेशानी की वजह से व्यापारी भी खरीदी नहीं कर रहे हैं। गोदाम में भी पिछले साल का गेहूं, चना और चावल रखा हुआ है। इसकी वजह से भंडारण की भी समस्या है। इन सभी स्थिति को देखते हुए सहकारिता विभाग ने खरीफ फसलों का कर्ज चुकाने की अंतिम समय सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया है। विभाग ने लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए 30 अप्रैल कर्ज अदायगी की तारीख बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री भी इससे सहमत हैं और आजकल में आदेश जारी हो जाएंगे।
तारीख नहीं बढ़ने से डिफॉल्टर हो जाएंगे किसान
सहकारी बैंकों के अधिकारियों का कहना है कि यदि कर्ज चुकाने की अंतिम तारीख नहीं बढ़ाई जाती है तो किसान डिफाल्टर हो जाएंगे और उन्हें आगामी सीजन के लिए कर्ज नहीं मिलेगा। ऐसा पहले भी हो चुका है और इसके कारण 12 लाख से ज्यादा किसान डिफल्टर की श्रेणी मे आ गए थे। कमल नाथ सरकार ने कर्जमाफी में ऐसे किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्जमाफ करके इन्हें डिफाल्टर की श्रेणी से निकालकर कर्ज लेने का पात्र बनाया है। 31 मार्च 2018 के बाद से ऐसे किसानों को प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से कर्ज मिलने लगा है।
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स्रोत: नई दुनिया