तिब्बत और लद्दाख से आए प्रवासी पक्षी बार हेडेड गूज के झुंडों ने आगरा और मथुरा के किसानों की नींद हराम कर रखी है। ये गेहूं की फसल को कुतर-कुचल कर बर्बाद कर रहे हैं। किसानों को रात में जागकर फसल की रखवाली करनी पड़ रही है।
सोसाइटी के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह के मुताबिक बार हेडेड गूज को सफेद हंस भी कहा जाता है। ये सर्दियों में उत्तर से दक्षिण भारत तक प्रवास करने आते हैं। यह शाकाहारी पक्षी है। यह पक्षी समूह में रहकर गीले खेतों में खड़ी फसल को अधिक नुकसान पहुंचाता है। बार हेडेड गूज के झुंड अधिकतर रात के अंधेरे में ही खेतों में आते हैं।
डॉ. केपी सिंह ने बताया, 70-80 सेंटीमीटर के बार हेडेड गूज का वजन दो से तीन किलो होता है। यह विश्व का सबसे ऊंचाई पर उड़ने वाला पक्षी है जो करीब 8400 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ सकता है। इनकी गति 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है। इनके खून के हीमोग्लोबिन में विशेष अमीनो एसिड होता है। यह इनको काफी ठंडे स्थानों पर रहने में मदद करता है।
आठ घंटे बगैर रुके ये पक्षी तिब्बत से भारत आते हैं। हिमालय की ऊंची (करीब 8000 मीटर) चोटियों को पार करते हैं। मार्च में ये प्रवासी पक्षी वापस चले जाते हैं। मादा 4-6 अंडे देती हैं और 25 से 30 दिन में बच्चे पैदा हो जाते हैं। बच्चे 55 दिन में उड़ने योग्य हो जाते हैं।
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स्रोत: अमर उजाला