किसानों की फसल के लिए मुसीबत बने प्रवासी पक्षी, रात में जागकर रखवाली कर रहे अन्नदाता

December 23 2019

तिब्बत और लद्दाख से आए प्रवासी पक्षी बार हेडेड गूज के झुंडों ने आगरा और मथुरा के किसानों की नींद हराम कर रखी है। ये गेहूं की फसल को कुतर-कुचल कर बर्बाद कर रहे हैं। किसानों को रात में जागकर फसल की रखवाली करनी पड़ रही है। 

बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के सदस्यों ने खेतों पर जाकर यह जानकारी जुटाई है। उन्होंने प्रभावित किसानों से बात की है। आगरा में कीठम और आसपास के गांवों व मथुरा में फरह ब्लॉक के जोधपुर, मई बस्तई, कोह, बबरौद के कई गांवों में इन पक्षियों ने गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाया है। सोसाइटी सदस्यों को किसानों ने बताया कि ये प्रवासी पक्षी सात-आठ वर्षों से यहां आ रहे हैं। लोग इन्हें कुर्च नाम से पुकारते हैं। इन पक्षियों ने जोधपुर गांव के देवेंद्र, मदनमोहन, अजय, मूलचंद, प्रेमबिहारी, रामेश्वर आदि किसानों की कई एकड़ गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाया है। 

सोसाइटी के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह के मुताबिक बार हेडेड गूज को सफेद हंस भी कहा जाता है। ये सर्दियों में उत्तर से दक्षिण भारत तक प्रवास करने आते हैं। यह शाकाहारी पक्षी है। यह पक्षी समूह में रहकर गीले खेतों में खड़ी फसल को अधिक नुकसान पहुंचाता है। बार हेडेड गूज के झुंड अधिकतर रात के अंधेरे में ही खेतों में आते हैं।  

डॉ. केपी सिंह ने बताया, 70-80 सेंटीमीटर के बार हेडेड गूज का वजन दो से तीन किलो होता है। यह विश्व का सबसे ऊंचाई पर उड़ने वाला पक्षी है जो करीब 8400 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ सकता है। इनकी गति 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है। इनके खून के हीमोग्लोबिन में विशेष अमीनो एसिड होता है। यह इनको काफी ठंडे स्थानों पर रहने में मदद करता है।

आठ घंटे बगैर रुके ये पक्षी तिब्बत से भारत आते हैं। हिमालय की ऊंची (करीब 8000 मीटर) चोटियों को पार करते हैं। मार्च में ये प्रवासी पक्षी वापस चले जाते हैं। मादा 4-6 अंडे देती हैं और 25 से 30 दिन में बच्चे पैदा हो जाते हैं। बच्चे 55 दिन में उड़ने योग्य हो जाते हैं।    

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: अमर उजाला