केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लगातार कई कदम उठा रही है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में किसानों के लिए फसल बीमा योजना, सिंचाई योजना से लेकर प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना लेकर आई. आज हम मोदी सरकार की एक ऐसी ही खास योजना के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिससे न सिर्फ आपके फसल की पैदावार बेहतर होगी, बल्कि आपके खेत की मिट्टी की सेहत भी बेहतर होगी. आज हम आपको सॉयल हेल्थ कार्ड के बारे में सभी जानकारी देने जा रहे हैं.
यह योजना केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय और कृषि एवं सहकारिता विभाग के द्वारा चलाया जाता है. इस योजना को राज्य एवं केंद्र शासित सरकारों के कृषि विभागों के माध्यम से पूरा किया जाता है. सरकार इस योजना को किसानों को उनके खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों की स्थित की जानकारी देने और उन्हें उर्वरकों की सही मात्रा के प्रयोग और जरूरी सुधारों के उद्देश्य से लेकर आई थी.
क्या है सॉयल हेल्थ कार्ड?
सॉयल हेल्थ कार्ड शॉर्ट टर्म में SHC भी कहा जाता है जो कि एक तरह का प्रिंटेड रिपोर्ट होता है, जिसे किसान के प्रत्येक जोतों के लिए दिया जाता है. इसमें 12 पैरामीटर्स जैसे NPK, सल्फर, जिंक, फेरस, कॉपर, मैगनिशियम, आदि के बारे में जानकारी होती है. इसके आधार पर एसएचसी में खेती के लिए अपेक्षित सॉयल सुधार और उर्वरक सिफारिशों के बारे में जानकारी होती है.
इस रिपोर्ट को किसान कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं?
इस रिपोर्ट में किसानों के जोत की मिट्टी के पोषक तत्वों के आधार पर जानकारी दी गई होती है. इसमें विभिन्न जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा के संबंध में बताया गया होता है कि किसी तत्व की मात्रा पर्याप्त है और किसी तत्व की कितनी जरूरत है. किसान इसके आधार पर पर्याप्त एवं जरूरी उर्वरक को बुआई से पहले खेतों में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे हर 3 साल में उपलब्ध कराया जाता है.
कौन लेगा नमूने?
राज्य सरकार के कृषि विभाग के स्टॉफ या आउटसोर्स एजेंसी के किसानों से मिट्टी के नमूने एकत्रित करती है. राज्य सरकार क्षेत्रीय कृषि महाविद्यालयों और साइंस कॉलेजों के विद्यार्थियों को भी इसमें शामिल करती है. इसके लिए नमूने GPS उपकरण और राजस्व मैप की मदद से सिंचित क्षेत्र में 2.5 हैक्टेयर और वर्षा सिंचित क्षेत्र के ग्रिड से लिए जाते हैं.
क्या है नमूने एकत्रित करने का उचित समय
रबी और खरीफ फसलों की कटाई के बाद सॉयल नमूने सामान्यत: एक साल में 2 बार लिए जाते हैं. इसे तब भी लिया जा सकता है, जब खेत में कोई फसल न हो. इसे वी आकार में सॉयल की कटाई के बाद 15-20 सेंटीमीटर की गहराई से एक प्रोफेशनल व्यक्ति द्वारा एकत्रित किया जाता है.
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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी