किसान दिवस: नौकरी छोड़कर युवाओं ने खेती में बहाया पसीना, फूलों से महकी किस्मत

December 24 2019

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है....ये पंक्तियां मैनपुरी के उन युवा किसानों पर सटीक बैठती हैं, जिन्हों नौकरी छोड़कर कृषि को अपना रोजगार बनाया। आज जिले के कई किसानों की किस्मत फूलों से महक रही है। बड़े बुजुर्गों के तजुर्बे के साथ आधुनिक साधनों का इस्तेमाल कर युवाओं ने उन्नतशील किसान के रूप में अपनी पहचान बनाई है। ये युवा दूसरे किसानों के लिए नजीर हैं।

नवादा गांव के किसान नरेंद्र सिंह लोधी की उम्र महज 31 वर्ष है। बीएससी पास नरेंद्र सिंह हर युवा की तरह पहले तो नौकरी के लिए दौड़ भाग करते रहे। जब प्राइवेट नौकरी मिली तो संतुष्ट नहीं हुए। महानगरों से वापस आकर गांव में खेती करने का फैसला लिया। घर वालों ने काफी समझाया, लेकिन उनका जुनून कम नहीं हुआ। दो बीघा खेत में प्रयोग के तौर पर जैविक खेती की। विदेशी किस्म की सब्जियों को पैदा करके ऊंचे दामों में महानगरों में बेच रहे हैं। इसके साथ ही जैविक तरबूज की खेती भी वो कर चुके हैं।

औंछा के गांव अकबरपुर निवासी वीरेंद्र सिंह बीए पास हैं। धान, आलू और गेहूं की खेती के साथ उन्होंने कुछ अलग हटकर करने की सोच लेकर खेतों में फावड़ा चलाया। शुरुआत में गेंदा के फूल की पैदावार की तो मुनाफा भी अच्छा मिला। फिर क्या था कदम आगे बढ़ते चले गए। आज वीरेंद्र अपने खेतों में गेंदा के साथ ही गुलदाउदी और ग्लेडियोलस फूल की कई प्रजातियां पैदा कर रहे हैं। वो बताते हैं कि वैज्ञानिक खेती की दम पर उन्होंने लाखों रुपये मुनाफा कमाया है। चार भाइयों और चार बच्चों की धूमधाम से शादी की है। खास बात यह है कि उन्होंने खेती ऊसर भूमि पर की और आज जिले के किसानों के लिए नजीर बन गए हैं।

बेवर ब्लॉक के गांव बड़ैपुरा के किसान देवेंद्र सिंह वर्षों से परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे थे। लागत अधिक और मुनाफा कम होने से जीवन की गाड़ी पटरी पर नहीं दौड़ रही थी। आठ वर्ष पहले कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर उन्होंने फूलों की खेती की। आज प्रति बीघा 25 हजार रुपये वो फूलों की खेती से कमा रहे हैं। इसके साथ ही अन्य पैदावार भी करते हैं। देवेंद्र ने बताया कि उनका गुलदाउदी और ग्लेडियोलस फूल दिल्ली, आगरा सहित अन्य महानगरों की मंडियों में खुशबू बिखेर रहा है।

कृषि वैज्ञानिक विकास रंजन ने कहा कि खेती आज घाटे का सौदा नहीं हैं। मैनपुरी के सैकड़ों किसान फूलों और सब्जियों की खेती करके लाखों रुपये प्रति वर्ष कमा रहे हैं। अन्य किसानों को भी ऐसे किसानों से सीख लेनी चाहिए। अगर परंपरागत खेती ही करनी है तो वह भी वैज्ञानिक तरीकों से करें, निश्चित ही किसानों को मुनाफा होगा। 

 

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स्रोत: अमर उजाला