कद में ऊंचे धान को किया बौना, 25 फीसद बढ़ाई पैदावार

December 12 2019

अपने कद के कारण बेस्र्खी झेल रहा सफरी-17 धान एक बार फिर किसानों का चहेता बन सकता है। ज्यादा लंबाई के कारण हवा के झोंकों से ही धान की फसल खेत में बिछ जाती थी, इससे किसानों को नुकसान होता था। अक्सर ऐसा होने के कारण किसानों ने इससे दूरी बना ली। लेकिन धान की यह किस्म एक बार फिर खेतों में दिखाई दे सकती है। कृषि वैज्ञानिकों ने इस धान के कद को बौना करने के साथ 25 फीसद तक अधिक पैदावार देने वाली नई सफरी-17 म्यूटेन इजाद की है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग और भाभा परमाणु अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने सफरी-17 की नई किस्म सफरी-17 म्यूटेन तैयार की है। इसका उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगा और ऊंचाई 100 सेंटीमीटर होगी। 115 दिन में इसकी फसल तैयार होगी। सफरी-17 छत्तीसगढ़ के धान की प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय किस्म है। इसमें बीमारियां सहने की क्षमता अन्य किस्म से अधिक होती है। सूखा रोधी भी है, जिसकी वजह से किसान बहुत पसंद करते हैं। उपज कम होती थी, ऊंचाई और पकने की अवधि अधिक होने के कारण धीरे-धीरे यह किस्म विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई।

पहले रिसर्च में विकसित किए तीन हजार बीज

कृषि विवि के आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा ने 2015 में सफरी-17 की नई किस्म तैयार करने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई से संपर्क किया। फिर 2016 में इसकी ब्रीडिंग शुरू की। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के गामा रेडियेशन 300 जीवाय डोज का प्रयोग कर तीन हजार बीज विकसित किए, जो बौने और शीघ्र पकने वाले थे। इसका राज्य के छह जिले रायपुर, अंबिकापुर, बिलासपुर, जगदलपुर, कवर्धा, रायगढ़ में इसका परीक्षण किया गया तो औसत उपज 56 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आयी।

देश के 43 स्थानों पर परीक्षण

छत्तीसगढ़ में सफलता मिलने के बाद अखिल भारतीय धान सुधार परियोजना के अंतर्गत देश के अलग-अलग राज्यों में 43 स्थानों पर सफरी-17 म्यूटेन का परीक्षण किया गया। इन स्थानों में औसत उपज 53 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आई।

सफरी-17 म्यूटेन की खासियत

  • उत्पादन- 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • ऊंचाई- 100 से 110 सेंटीमीटर
  • पकने की अवधि- 115 से 120 दिन
  • गुणवत्ता- मुरमुरा के लिए सर्वोत्तम
  • तेज हवा से फसल जमीन पर नहीं गिरेगी
  • सफरी-17 में
  • उत्पादन 20 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • पकने की अवधि- 140 से 145 दिन
  • ऊंचाई 120 से 130 सेंटीमीटर
  • तेज हवा से फसल जमीन पर गिर जाती थी
  • खाने के लिए उत्तम

इनका कहना है

सफरी-17 म्यूटेन किसानों के लिए काफी उपयोगी फसल होगी। रिसर्च में मिले बेहतर परिणाम से इसका रकबा भी बढ़ेगा।

डॉ. एसके पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विवि

 

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स्रोत: नई दुनिया