कंपकंपाती ठंड व कोहरे ने गन्ने को बुरी तरह किया प्रभावित, बैंडिड क्लोरोसिस की चपेट में आई फसल

January 14 2020

कंपकंपाती ठंड और कोहरे ने गन्ने की शरदकालीन फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है। ठंड में शरदकालीन गन्ना बैंडिड क्लोरोसिस बीमारी की चपेट में आ गया है। 0238 प्रजाति के गन्ने में बीमारी सबसे अधिक लगी है। बीमारी के कारण पौधे की पत्तियां बीच में काली पड़कर सूख रहीं है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गन्ने में यह बीमारी पहली बार लगी है।

सितंबर और अक्टूबर माह में शरदकालीन गन्ने की बुवाई की जाती है। इस दौरान बोई गई गन्ने की फसल से मार्च-अप्रैल में बोई फसल के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा उत्पादन मिलता है। इसके साथ ही किसान ट्रैंच विधि से बोई फसल के बीच में सरसों, आलू, मसूर, प्याज आदि सहफसली खेती कर दोहरा मुनाफा कमाते हैं। रिकवरी अधिक होने के कारण पिछले कई वर्षों से चीनी मिलें भी शरदकालीन गन्ने की बुवाई पर काफी जोर दे रही हैं।

शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए मिलों द्वारा दवाइयों और जैविक खाद पर अनुदान दिया जाता है। जनपद में बड़ी संख्या में किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई करते हैं, लेकिन इस वर्ष अक्टूबर में बोए गन्ने को बीमारी ने जकड़ लिया है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी का नाम बैंडिड क्लोरोसिस है। यह बीमारी खेत लगातार कई दिन तक बहुत सर्दी होने, सूरज न निकलने की वजह से होती है।

इस वर्ष सर्दी में काफी बारिश हुई है और तापमान भी काफी कम है, जिससे यह बीमारी खेतों में लग रही है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पौधा अगर छोटा है तो बीमारी के बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। बीमारी के कारण पौधे की पत्तियां बीच से सूख जाती हैं और पत्तियों पर पीले व लाल रंग के धब्बे बन जाते हैं। बीमारी के कारण गन्ने की बढ़वार प्रभावित होती है और बीमारी का समय पर उपचार न किया जाए तो पूरा पौधा सूख जाता है।

कृषि विज्ञान केंद्र नगीना के कृषि वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह ने बताया कि वह प्रभावित पौधे को देखकर ही बीमारी के बारे में बता सकते हैं। किसान उनसे पौधा दिखाकर सलाह ले सकते हैं। कृषि विभाग में तकनीकी सहायक अनुज चौधरी ने बताया कि बीमारी की रोकथाम के लिए खेत में सल्फर का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा कृषि वैज्ञानिक से मिलकर सलाह ले सकते हैं।

धूप न निकलने से पौधों को नहीं मिल रहा खाना

पौधा सूरज निकलने पर पत्तियों व धूप की मदद से खाना बनाता है। इस साल तापमान बहुत कम रहा। कई-कई दिन तक सूरज नहीं निकला। इससे पौधा भोजन नहीं बना पाया। पौधे की पत्तियां सूख गई हैं। गन्ने के लिए कम से कम पांच डिग्री तक तापमान, धूप चाहिए। लेकिन इस साल तापमान दो डिग्री तक गिर गया।

गन्ना सामान्य तौर पर अधिक तापमान में बढ़ता है। धामपुर चीनी मिल के गन्ना महाप्रबंधक आजाद सिंह के अनुसार किसान खेत में पानी दें। पानी से पाले आदि का असर कम होगा। खेत में सल्फर का छिड़काव करें।

 

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स्रोत: अमर उजाला