औषधीय गुणों से भरपूर है जिमीकंद, किसानों को प्रोत्साहन की दरकार

June 12 2019

औषधीय गुणों से भरपूर जिमीकंद को सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। छत्तीसगढ़ में इसका धार्मिक महत्व भी है। धमतरी जिले में भी कुछ किसान जिमीकंद का उत्पादन कर रहे हैं। हालांकि फसल के उत्पादन और इसकी गुणवत्ता को लेकर शासन स्तर पर बेहतर प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं हो रहा है। देखने में आम और मिट्टी के रंग यह कंद है। जिमीकंद एक गुणकारी सब्जी है, जो स्वस्थ एवं निरोगी रखने में मदद करती है। जानकारी के अनुसार धमतरी जिले के चारों ब्लॉक में इसकी खेती होती है। लगभग 20 से 25 एकड़ में अंचल के किसान अपने स्तर पर इसकी खेती कर रहे हैं। धमतरी जिला कृषि प्रधान होने के कारण यहां की परंपराएं भी खेती-किसानी से जुड़ी हुई है। साल के सबसे बड़े पर्व दीपावली के समय गोवर्धन पूजन पर गोवंश को अन्य भोज्य पदार्थों के साथ कोचई के साथ जिमीकंद की सब्जी खिलाने का भी रिवाज है। इसके चलते पर्व के समय जिमीकंद की मांग एकाएक बढ़ जाती है। छुटपुट पैमाने पर जिमीकंद की फसल लगाने वाले किसान और सब्जी उत्पादक जिमीकंद को पर्व के इस खास अवसर के लिए सहेज कर रखते हैं।

ऐसे करें जिमीकंद की खेती

कृषि विज्ञान केंद्र संबलपुर के कृषि वैज्ञानिक एसएस चंद्रवंशी ने बताया कि जिमीकंद फसल को लगाने के लिए यह सबसे बेहतर समय है। इसके लिए जमीन में एक फीट लंबा और एक फीट चौड़ा गहरा गड्ढा करें। गड्ढे को मिट्टी, रेत, गोबर खाद का मिश्रण कर भर दें। मानसून की पहली बारिश होते ही उसे उसमें जिमीकंद का बीज डाल दें। ऐसा करने से फसल अच्छी होती है। साथ ही कंद भी बड़े लगते हैं। जहां पर पानी की उपलब्धता होती है, वहां इसका उत्पादन जल्द होता है यानी कि छह से आठ माह के भीतर ही उत्पादन कर आर्थिक लाभ लिया जा सकता है। जिमीकंद की फसल को व्यवसायिक तौर पर उगाने के लिए किसानों में उत्साह है। किसान लगातार संपर्क करते रहते हैं। बारिश के पहले ही इसका रोपण किया जाना चाहिए ताकि इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।

ऐसी बनती है सब्जी

जिमीकंद को धोकर कुकर में सबसे पहले उबाला जाता है। इसके बाद इसे कुकर से निकालकर छिलका निकालकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर सुखाते हैं। सूखने के बाद इन टुकड़ों को तेल में तला जाता है। तलने के बाद इसे अलग रख लेते हैं। कढ़ाही में थोड़ा सा तेल डालकर आवश्यक सब्जी का मसाला तैयार किया जाता है। मसाले तैयार होने पर इसमें फिर पानी डाला जाता है। उबाल आने पर इसमें तले हुए जिमीकंद के टुकड़ों को डालते हैं। 10 से 15 मिनट धीमी आंच पर पकने के बाद जिमीकंद की सब्जी तैयार हो जाती है।

राजधानी रायपुर में भी होती है बिक्री

धमतरी जिले में उगाई जा रही जाने वाली जिमीकंद की बिक्री धमतरी के लोकल मार्केट के अलावा राजधानी रायपुर, दुर्ग, भिलाई, कांकेर तक होती है। थोक सब्जी मार्केट में अंचल के किसान उपज लेकर पहुंचते हैं और यहां से बोली होने के बाद इसे थोक और चिल्लर व्यवसायी खरीदकर ले जाते हैं। आमदी के किसान रामकुमार देवांगन, बोड़रा के पुष्पेंद्र साहू, सोहन साहू, श्यामतराई के बलमा निषाद, ठाकुरराम ने कहा कि यदि सरकार की ओर से उचित प्रोत्साहन मिले तो इसका बेहतर उत्पादन किया जा सकता है। हम लोग पारंपरिक तरीके से ही इसकी खेती करते हैं।

प्रोत्साहन की दरकार

औषधीय गुणों के साथ पौष्टिकता से भरपूर जिमीकंद की सब्जी फसल को लेकर व्यवसायिक और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए शासन स्तर पर बेहतर प्रयास करने की आवश्यकता है। क्योंकि इसके उत्पादन में लागत कम आती है। इसका वजन दो किलो से लेकर तीन किलोग्राम तक होता है। अन्य फसलों की तरह इसमें कीट व्याधियां लगने की गुंजाइश भी कम रहती है। धमतरी जिला नदी, नाले से समृद्ध है। नदी किनारे की मिट्टी रेतीली और भुरभुरी होने होने के कारण इस फसल के लिए उपयुक्त है, क्योंकि ऐसी मिट्टी में जिमीकंद की फसल बहुत अच्छे उत्पादित होती है। ऐसे में प्रशासन को पहल करते हुए इस फसल के लिए प्रचार प्रसार करने की आवश्यकता है।

धमतरी में हो रही खुजलाहट रहित जिमीकंद की खेती

आमतौर पर जिमीकंद की सब्जी को यदि ठीक तरीके से धोया और उबाला न जाए तो इसमें खुजलाहट की शिकायत आती है। इसके चलते कई लोग इस सब्जी को खाने से बचते हैं। गुणवत्ता और पौष्टिकता से भरपूर जिमीकंद को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने कृषि विज्ञान केंद्र संबलपुर में खुजलाहट रहित जिमीकंद का उत्पादन किया जा रहा है। पूर्व में इसका प्रदर्शन भी किया जा चुका है। इसका नाम गजेंद्र जिमीकंद है। आंध्रप्रदेश में इस वैराइटी का उत्पादन हुआ है, जिसे जिले में भी अपनाया जा रहा है। धमतरी जिले के बोड़रा, बनबगौद, पुरी, भोथा सहित आठ गांव के किसानों ने गजेंद्र जिमीकंद किस्म की खेती को अपनाया है। कृषि वैज्ञानिक एसएस चंद्रवंशी ने बताया कि गजेंद्र जिमीकंद उन्नत किस्म की सब्जी है। सामान्य जिमीकंद में कैल्शियम आक्सोलॉलिक पाया जाता है, जिसके कारण इसमें खुजलाहट पाई जाती है। गजेंद्र जिमीकंद में कैल्सियम आक्सोलॉलिक नहीं पाया जाता। साथ ही इसका स्वाद भी अच्छा रहता है। इसमें ज्यादा लागत भी नहीं आती।

व्याधि रोगी के लिए उत्तम आहार

डॉ. आरएस ठाकुर ने बताया कि जिमीकंद में पोटेशियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा होती है। साथ ही यह लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में भी काफी सहयोग करता है। इसके अलावा ओमेगा-3, विटामिन बी-6 भी जिमीकंद में काफी मात्रा में पाए जाते हैं। आयुर्वेद में गठिया, कब्ज और पेट से जुड़ी व्याधियों के लिए इसे उत्तम आहार बताया गया है। इसके अलावा एंटी आक्सीडेंट भी जिमीकंद में पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य का स्तर अच्छा बनाए रखने में शरीर को मदद मिलती है। जिमीकंद में पाया जाने वाला कॉपर लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाकर शरीर में ब्लड के फ्लो को दुरुस्त करता है और आयरन ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में मदद भी करता है।

एक औषधीय है जिमीकंद

आयुर्वेदाचार्य पंडित पूरण शर्मा ने बताया कि जिमीकंद सूखा, कसैला, खुजली करने वाला होता है। आयुर्वेद में जिमीकंद जड़ औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है। पेट से जुड़े रोगों के लिए इसका सेवन रामबाण की तरह होता है। यह दिमाग तेज करने में भी मदद करता है। जिमीकंद खाने से मेमोरी पावर बढ़ती है। साथ ही यह अल्जाइमर रोग होने से भी बचाता है। दिमाग को तेज करने के लिए जिमीकंद को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: नई दुनिया