एग्रीकल्चर की पढ़ाई, छात्रों को इंजीनियरिंग के साथ नवाचार करने का खुला विकल्प

March 13 2020

12वीं पास होने के बाद बच्चे बहुत परेशान से रहते हैं कि क्या किया जाए? सलाह लेने पर अधिकतर लोग इंजीनियरिंग, डॉक्टरी आदि जैसे कोर्स की सलाह ही देते हैं, लेकिन आपके पास इससे भी अच्छे विकल्प मौजूद हैं। जैसा कि आपको पता ही है कि किसी भी व्यक्ति की प्रारंभिक जरूरतें रोटी, कपड़ा और मकान है तो अगर आप इनसे जुड़े कोई कोर्स करते हैं तो आप एक अच्छा रोजगार तलाश सकते हैं। ज्ञात हो कि भारत में कृषि इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से चली आ रहा है। कृषि हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत की लगभग आधी से ज्यादा आबादी एग्रीकल्चर से जुड़ी हुई है। इसी कारण आज भी भारत, एग्रीकल्चर के क्षेत्र में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है। पौधों या पशुओं से संबंधित उत्पादों की खेती करना या उत्पादन करना एग्रीकल्चर कहलाता है। कृषि में स्नातकोत्तर डिग्री पूरी करने के बाद एक पर्यवेक्षक, वितरक, शोधकर्ता और इंजीनियर के रूप में काम कर सकते हैं।

टॉप टेन कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ने का अवसर

एग्रीकल्चर या कृषि के अंतर्गत फसल उत्पादन, पशुपालन और डेयरी विज्ञान, कृषि रसायन और मृदा विज्ञान, बागवानी, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि इंजीनियरिंग, वनस्पति विज्ञान, प्लांट पैथोलॉजी, विस्तार शिक्षा और कीटनाशक शामिल हैं। ये कोर्सेज भी अब अपना अलग-अलग शाखाओं में विस्तार कर रहे हैं। प्रदेश में एक मात्र इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय है। जहां पर 32 कृषि कॉलेजों को मिलाकर लगभग 2600 सीट है। वहीं इन सीटों पर हर वर्ष लगभग 50 से 60 हजार छात्र प्री-एग्रीकल्चर परीक्षा (पीएटी ) की प्रवेश परीक्षा में बैठते हैं। ज्ञात हो कि अब प्रदेश का कृषि विवि देश भर के टॉप टेन में शामिल हो गया है। जोकि स्थानीय छात्रों के लिए एक बड़ी उपलब्धिा हैं।

एग्रीकल्चर में प्रमुख कोर्स

एग्रीकल्चर कोर्स के माध्यम से पशुपालन, खेती, कृषि विज्ञान या बागवानी प्रबंधन शामिल हैं। एग्रीकल्चर कोर्स डिप्लोमा, स्नातक और परा-स्नातक डिग्री शामिल हैं। इन कोर्स में छात्रों को कृषि और बागवानी की मूल बातें सीखते हैं साथ ही साथ एग्रीकल्चर का व्यवसाय कैसे चलाना है आदि ये सब सिखाते हैं।

स्नातक कोर्स

बीएससी बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी), यह कार्यक्रम 3 साल होता हैं। इसके लिए 10 + 2 उत्तीर्ण (विज्ञान धारा) उत्तीर्ण होने के साथ पीइटी की परीक्षा के आधार पर दाखिला दिया जाता है। जिसमें एग्रीकल्चर से लेकर प्लांट साइंस तक में डिग्री ले सकते है। इसके अलावा बी.ई. या बीटेक कार्यक्रम इंजीनियरिंग डिग्री पाठ्यक्रम हैं। ये शैक्षणिक कार्यक्रम 4 साल लंबा हैं। इसके लिए 10 + 2 उत्तीर्ण (विज्ञान धारा) होना आवश्यक है। जिसके बाद बीटेक इन एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, बीटेक इन एग्रीकल्चरल इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, बीटेक इन एग्रीकल्चर एंड डेरी टेक्नोलॉजी ,बीटेक इन एग्रीकल्चरल एंड फ़ूड इंजीनियरिंग आदि पाठ्यक्रम शामिल है।

स्वयं का शुरू कर सकते हैं व्यवसाय

एग्रीकल्चर क्षेत्र बागवानी, मुर्गी पालन, पौध विज्ञान, मृदा विज्ञान, खाद्य विज्ञान, पशु विज्ञान आदि में नौकरी के अवसर प्रदान करता है। अन्य एग्रीकल्चर क्षेत्रों में आकर्षक रिटर्न देने वाले क्षेत्र में बागवानी, डेयरी और पोल्ट्री फार्मंिग शामिल हैं। स्वयं के रोजगार के अवसर भी इस क्षेत्र में उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र में और कुछ अनुभव के साथ स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद, कृषि व्यवसाय, कृषि उत्पादों की दुकान, कृषि उद्योग आदि जैसे खुद का व्यवसाय शुरू किया जा सकता है।


इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: नई दुनिया