बगीचों में ओलों से बचाव को एंटीहेल नेट लगाने में थोड़ी सी कोताही से प्रभावित सेब उत्पादन हो सकता है। बागवान फलदार पेड़ों पर जाल डालने से पहले वैज्ञानिक सलाह जरूर लें ताकि फलों की पैदावार अच्छी ली जा सके। मौसम की अनिश्चितता के कारण बारिश और ओलावृष्टि से होने वाले नुकसान से बचने के लिए प्रदेश के अधिकांश बागवान बगीचों में एंटीहेल नेट का प्रयोग करते हैं। कई जागरूक बागवान तो वैज्ञानिक सलाह लेकर यह कार्य कर रहे हैं लेकिन अधिकांश बागवान एंटीहेल नेट का प्रयोग करने में लापरवाही करते हैं।
इससे फलों की पैदावार भी कम होती है। फलदार पेड़ों खासकर सेब के पेड़ों में फूल खिलने से लेकर फलों की सेटिंग होने तक पेड़ों की देखभाल करना जरूरी रहती है। इस दौरान मधुमक्खियों का आना जाना भी लगा रहता है। फलों को सेटिंग में मधुमक्खियों के रास्ते में बाधा पैदा न हो। बागवान एंटीहेल नेट लगाते समय इसका खास ख्याल रखें। बागवानों को वैज्ञानिक सलाह है कि फूलों के खिलने से लेकर फलों की सेटिंग होने तक पेड़ों पर डाले जाल को नीचें से खुला रखें, हो सके तो पांच- छह फीट ऊपर रखें ताकि मधुमक्खियों की आवाजाही प्रभावित न हो।
फूल खिलने और फलों की सेटिंग तक छिड़काव से बचें
बागवानी विशेषज्ञ कहते हैं कि फूल खिलने और फलों की सेटिंग होने तक कीटनाशकों के छिड़काव से परहेज करना चाहिए। ऐसी स्थिति में कीटनाशकों का छिड़काव करने से मधुमक्खियों और मित्र कीटों की अकाल मौत हो सकती है। इससे फलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।
बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि एंटीहेल नेट ओलों से होने वाले नुकसान से बचाती है। बागवानों को यह ध्यान भी रखना होगा कि नेट लगाने के बाद मधुमक्खियों की आवाजाही और पेड़ों की टहनियों का विकास प्रभावित तो नहीं रहा। मधुमक्खियों न मरें, इसके लिए बगीचों में फलों की सेटिंग होने तक कीटनाशकों का छिड़काव न करें।
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स्रोत: amarujala