इस राज्य सरकार ने फसल खरीद में धान और मक्का के साथ शामिल की ये 3 फसलें

April 22 2020

इन दिनों लॉकडाउन के चलते किसानों को उनकी उपज न बिकने के नुकसान से बचाने के लिए कई राज्य सरकारें फसल खरीद की प्रक्रिया अपना रही हैं. किसानों को यह फसल खरीद काफी राहत देगी. इन्हीं में तेलंगाना राज्य भी शामिल है. हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस बात की घोषणा की है कि राज्य ने कोरोनो वायरस के मौजूदा संकट के बावजूद किसानों से अनाज की फसल खरीदी में कामयाबी हासिल की है. राज्य सरकार ने जहां धान और मक्का की फसल खरीद शुरू की थी, वहीं बाद में 3 और फसलों को भी खरीद का हिस्सा बनाया. इनमें ज्वार, सूरजमुखी और काबुली चना (छोले) की खरीद शामिल है. तेलंगाना सीएम ने जानकारी दी है कि वह किसानों की इन सभी फसलों की खरीद करने में सक्षम हो पाई है.

क्षेत्र के 1.35 करोड़ एकड़ को मिलेगी सुनिश्चित सिंचाई

प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा, “इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी राज्य ने इतने समय के दौरान पूरी फसल की खरीद की हो. भारत में कोई अन्य राज्य तेलंगाना जैसे किसानों द्वारा उत्पादित सभी फसलों की खरीद नहीं कर रहा है. कोरोना महामारी (covid 19) के कारण “World Ration” हर जगह एक चिंता का विषय रहा है लेकिन हम कृषि के महत्व को समझते हैं. अब बम्पर ज्वार, सूरजमुखी और चने की फसल भी है और इसलिए इनकी भी खरीद करेंगे." इसके साथ ही उन्होंने राज्य में धान खरीद के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा, “कालेश्वरम का पानी सिद्दीपीट तक पहुंच गया है और अगला चरण कोंडापोचम्मा सागर है. शायद जून तक, परियोजना के तहत सभी क्षेत्रों को पानी मिल जाएगा. गर्मियों तक, 1.35 करोड़ एकड़ को सुनिश्चित सिंचाई मिलेगी लेकिन राज्य को लगभग 1.5 लाख टन यूरिया और अन्य महत्वपूर्ण उर्वरकों की आवश्यकता है.”

5 मई तक खत्म हो जाएगी फसल खरीद

आपको बता दें कि उर्वरक की बढ़ती मांग के संबंध में एक बैठक की गयी और इसके तहत समीक्षा हुई कि मौजूदा हालातों में  प्रदेश की क्या स्थिति है. किसानों को सलाह देते हुए सीएम ने कहा, “मैं किसानों से अपील करता हूं कि वे उर्वरकों की दुकानों पर भीड़ न लगाएं. 5 मई तक, सभी खरीद खत्म हो जाएगी, इसलिए हम नकद प्रोत्साहन लेंगे और उसके बाद ही उर्वरक खरीदना शुरू करेंगे. हमारे पास स्टॉक हैं और किसान मई में उर्वरक खरीदना शुरू कर सकते हैं इसलिए जल्दबाज़ी न करें."


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स्रोत: कृषि जागरण