इन सात करोड़ किसानों के लिए मोदी सरकार पहुंची चुनाव आयोग, क्या इनमें हैं आप?

March 18 2019

किसानों को नगद सहयोग देने वाली मोदी सरकार की सबसे बड़ी योजना आचार संहिता के फेर में फंस गई है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम  के तहत सालाना दी जाने वाली 6000 रुपये की सहायता देश के करीब सवा सात करोड़ किसानों को मिलेगी या नहीं, इसका फैसला चुनाव आयोग करेगा. कृषि मंत्रालय ने इलेक्शन कमीशन से इसकी परमिशन मांगी है. ये वे किसान हैं जिन्हें केंद्र सरकार लाभार्थी तो मानती है लेकिन उन्होंने अब तक इस योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन और वेरीफिकेशन नहीं करवाया है. मोदी सरकार को इस मामले पर चुनाव आयोग के निर्देश का इंतजार है. दूसरी ओर जिन 4.75 करोड़ किसानों का पहले से रजिस्ट्रेशन है उन्हें सरकार दूसरी किस्त भी भेजने की तैयारी में जुटी है. उन पर आचार संहिता का कोई असर नहीं पड़ेगा. 

सरकार की कोशिश, असली किसानों को मिले फायदा

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने न्यूज18 हिंदी से बातचीत में बताया कि देश में 12 करोड़ किसानों को इस योजना के तहत खेती के लिए सालाना 6000 हजार रुपये दिए जाने हैं. इनमें से पौने पांच करोड़ किसानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है. दो करोड़ से अधिक किसानों के अकाउंट में 2000 रुपये की पहली किस्त जा चुकी है. लेकिन जिन सवा सात करोड़ किसानों का आचार संहिता से पहले रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है उनके खाते में अभी पैसा ट्रांसफर नहीं होगा. उनके रजिस्ट्रेशन का काम चलता रहेगा. हालांकि सरकार ने इलेक्शन कमीशन से परमिशन मांगी है. अगर आयोग कहेगा तो हम नए रजिस्टर्ड किसानों को भी पैसा भेजेंगे.

पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम मोदी सरकार की किसानों से जुड़ी सबसे अहम योजना है. इसकी औपचारिक शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 फरवरी को यूपी के गोरखपुर से की थी. बीजेपी ने किसानों को साधने के लिए उन्हें नगद लाभ देने का दांव चला था. लेकिन 12 करोड़ किसानों का रजिस्ट्रेशन हो पाता इससे पहले आचार संहिता लग गई. फिर भी सरकार वोटिंग से पहले 4.75 करोड़ किसानों के बैंक अकाउंट में चार-चार हजार रुपये भेज देगी. एक अप्रैल को दूसरी किस्त भेजने की तैयारी चल रही है. क्योंकि पहले से रजिस्टर्ड किसानों को पैसा देने पर आचार संहिता लागू नहीं है.

एक फरवरी तक लैंड रिकॉर्ड में नाम होना जरूरी

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की ऑपरेशनल गाइडलाइन जारी कर दी है. जिसमें बताया गया है कि किसे लाभ मिलेगा और किसे नहीं.

लघु एवं सीमांत किसान परिवार: इसकी परिभाषा में ऐसे परिवारों को शामिल किया गया है, जिनमें पति-पत्नी और 18 वर्ष तक की उम्र के नाबालिग बच्चे हों और ये सभी सामूहिक रूप से दो हेक्टेयर यानी करीब 5 एकड़ तक की जमीन पर खेती करते हों. यानी पति-पत्नी और बच्चों को एक इकाई माना जाएगा. जिन लोगों के नाम 1 फरवरी 2019 तक लैंड रिकॉर्ड में पाया जाएगा वही इसके हकदार होंगे.

लाभ के लिए कृषि विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. प्रशासन उसका वेरीफिकेशन करेगा. इसके लिए जरूरी कागजात होने चाहिए. जिसमें रेवेन्यू रिकॉर्ड में जमीन मालिक का नाम, सामाजिक वर्गीकरण (अनुसूचित जाति/जनजाति), आधार नंबर, बैंक अकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर देना होगा.

यह योजना एक दिसंबर 2018 से लागू है, इसलिए 31 मार्च से पहले सभी लाभार्थी किसानों के खातों में 2000 रुपये की पहली किस्त आ जाएगी. योजना योजना के सीईओ विवेक अग्रवाल के मुताबिक दो करोड़ से अधिक किसानों के अकाउंट में पैसा भेजा जा चुका है. केंद्र सरकार का दावा है कि इससे 12 करोड़ किसानों को लाभ होगा. इस योजना पर सरकार 75 हज़ार करोड़ रुपए खर्च कर रही है. इसका लाभ उन किसानों  को मिलेगा जिनका नाम 2015-16 की कृषि जनगणना में आता है. सरकार ने पिछले साल इसे जारी किया था.

एमपी, एमएलए, मंत्री, मेयर को नहीं मिलेगा लाभ 

कृषि मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक भूतपूर्व या वर्तमान में संवैधानिक पद धारक, वर्तमान या पूर्व मंत्री, मेयर या जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को इसका फायदा नहीं मिलेगा. हमारे 15.85 फीसदी सांसद खुद को किसान बताते हैं. विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे किसान 6000 वाली सहायता के हकदार नहीं होंगे. योजना का लाभ लेने के लिए और भी कई कंडीशन अप्लाई की गई हैं. 

केंद्र या राज्य सरकार में अधिकारी (मल्टी टास्किंग स्टाफ / चतुर्थ श्रेणी / समूह डी कर्मचारियों को छोड़कर) एवं 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. पेशेवर, डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट, जो कहीं खेती भी करता हो उसे इस लाभ का हकदार नहीं माना जाएगा. लास्ट वित्तीय वर्ष में इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले इस लाभ से वंचित होंगे.

 

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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी