The Pulses Conclave 2020: महाराष्ट्र में वैश्विक दाल सम्मेलन का आयोजन

January 14 2020

भारत के दाल कारोबार एवं उद्योग के लिए नोडल संस्था इण्डिया पल्सेज़ एण्ड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) की तरफ से द्विवार्षिक वैश्विक दाल सम्मेलन दि पल्सेज़ कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है. इसकी शुरुआत 12 फरवरी से हुई थी और यह 14 फरवरी 2020 तक एम्बी वैली सिटी, लोनावला, महाराष्ट्र में चलेगा. द पल्स कॉन्क्लेव 2020 अपने एजेंडा के तहत न केवल बढ़ते घरेलू उत्पादन और उपभोग पर चर्चा करेंगे, बल्कि कारोबार से जुड़े अन्य क्षेत्रों जैसे प्रसंस्करण दक्षता, निर्यात, मूल्य संवर्धन, प्रोटीन एक्सट्रैक्शन, कटाई के बाद फसल प्रबंधन आदि पर भी विचार-विमर्श करेंगे.

बिमल कोठारी, उपाध्यक्ष आईपीजीए ने कृषि जागरण से बातचीत में बताया कि किसानों को उनके माल की उचित कीमतें मिलनी चाहिए और साथ ही उपभोक्ताओं के लिए भी दालें उचित कीमतों पर उपलब्ध हों.

आईपीजीए को उम्मीद है कि भारत और दालें निर्यात करने वाले देशों जैसे यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यांमार, इथियोपिया, युगांडा, तंज़ानिया, मोज़ाम्बिक, मलावी आदि से तकरीबन 1500 हितधारक द पल्स कॉन्क्लेव 2020 (टीपीसी 2020) में हिस्सा लेंगे.

जीतू भेदा, चेयरमैन- आईपीजीए ने इस अवसर पर कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री जी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है और इसके लिए पर्याप्त प्रयास किए जा रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप भारत का दाल उत्पादन जो 2013-14 में 19 मिलियन टन था, वह 2018-19 में 23 मिलियन टन और 2019-20 में 26.30 मिलियन टन हो गया है."

आईपीजीए अपने एजेंडा के माध्यम से अपने सदस्यों को बढ़ते घरेलू उत्पादन तथा आयात एवं मांग के संतुलन से लाभान्वित करना चाहता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय उपभोक्ताओं को दालों की अनुपलब्धता और उंची रीटेल कीमतों का सामना न करना पड़े.

भेदा ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में भोजन की कीमतों में अवस्फीती दर्ज की गई,  जिसके चलते सभी उपभोक्ता कीमत सूचकांक में गिरावट आई और किसानों के लिए संकट बढ़ गया. जहां एक ओर दुनिया भर में कृषि वस्तुओं का मूल्य कम है, भारत का निर्यात उतना प्रभावी नहीं है. इसके अलावा खाद्य सामग्री का थोक कीमत सूचकांक कृषि इनपुट से कम है, जिसके चलते स्थिति और भी बदतर हो जाती है, जिसका असर इनुपुट लागत जैसे सिंचाई, विद्युत, कीटनाशक ओर उर्वरकों आदि की कीमत पर पड़ता है. ऐसे में सरकार को उत्पादन, मांग और उपलब्धता पर ध्यान देना होगा. सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को उनके माल की उचित कीमतें मिलें, साथ ही उपभोक्ताओं के लिए भी दालें उचित कीमतों पर उपलब्ध हों."

आईपीजीए के चीफ़ एक्ज़क्टिव ऑफिसर प्रदीप घेरपदे ने कहा, ‘‘कॉन्क्लेव प्रोग्राम, दालों के उत्पादन, घरेलू एवं विश्वस्तरीय कीमतों, आपूर्ति और मांग आदि सभी पहलुओं पर रोशनी डालता है. टीपीसी 2020 इन सभी पहलुओं को कवर करेगा, साथ ही ऐसी योजनाओं पर रोशनी डालेगा जो माननीय प्रधानमंत्री जी के दृष्टिकोण के अनुरूप भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्थ बनाने में योगदान दे सकें. सम्मेलन दालों की सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला में रीटेल बिक्री, प्रसंस्करण, दाल उत्पादों, मूल्य संवर्धन आदि को कवर करेगा."

दालें भारत में प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं. आईपीजीए का मानना है कि दालों की उपलब्धता के साथ-साथ इनकी उचित कीमतें सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है. भारत सरकार को ऐसी योजना बनानी होगी, जिसके द्वारा किसान और उपभोक्ता दोनों लाभान्वित हों. आईपीजीए सरकार के साथ मिलकर किफ़ायती दरों पर बीपीएल आबादी को दालें उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है, ताकि मांग और उत्पादन के बीच उचित संतुलन बनाया जा सके.

पिछले डेढ़ साल के दौरान भारत सरकार ने दालों के आयात पर टैरिफ़ और नान-टैरिफ़ बैरियर पेश किए हैं, ताकि किसानों को उनके माल की उचित कीमतें मिलें और साथ ही घरेलू स्तर पर उत्पादन को बढ़ाया जा सके. आईजीपीए प्रमुख मंत्रालयों जैसे कृषि, उपभोक्ता मामलों, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा वाणिज्य के साथ मिलकर महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेगा, ताकि उपभोक्ता और किसानों दोनों के लिए लाभदायक परिणामों को सुनिश्चित किया जा सके.


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स्रोत: कृषि जागरण