तकनीक जिसने रेगिस्तान को भी हरा-भरा बना दिया...

February 16 2018

आप सभी ने इजरायल देश का नाम तो सुना ही होगा। हथियार और रडार तकनीकी के लिए खास पहचान बनाने वाले इस देश ने एक ऐसी तकनीकी ईजाद की है जिसकी मदद से उसने कुछ ही समय में रेगिस्तान को भी हरा-भरा कर दिया है। यही कारण है कि न सिर्फ हथियार व रडार तकनीकी के लिए यह देश जाना जाता है बल्कि दुनियाभर में इसने अपनी सिंचाई प्रौद्योगिकी के लिए भी पहचान बनाई है। इस देश ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि अब रेगिस्तानों को भी हरा-भरा किया जा सकता है।

अमूमन देखने में आता है कि लोग पानी को व्यर्थ बहा देते हैं लेकिन पानी की हर बूंद का उचित इस्तेमाल कोई इजरायल देश से करना सीखे। इस देश में समुद्र के खारे पानी को भी पीने लायक बना दिया और तो और बेकार पानी को रिसाइकिल कर रीयूज करने का तरीका भी सिखाया।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस देश में सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी का तकरीबन आधा हिस्सा रिसाइकिल होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इजरायल के नेगेव रेगिस्तान के बढ़ते दायरे व इसे हरा-भरा करने के लिए इजरायल ने काफी सफल कोशिशें की हैं। उनके अथक प्रयासों के बारे में आपको बताते हैं कि इस देश में रेगिस्तान में ऐसे पौधे लगाए हैं जो हवा से नाइट्रोजन सोखकर उसे जमीन तक पहुंचाते हैं। इससे बिना किसी अतिरिक्त खर्च के जमीन की उत्पादकता बनी रहती है। यह व्यवस्था लंबे समय के लिए है और टिकाऊ भी।

वहीं इजरायल की बूंद सिंचाई तकनीकी दुनियाभर में विख्यात है क्योंकि इजरायलियों का मानना है कि फसलों को पानी की कुछ बूंदें यदि लंबे समय तक दी जाएं तो यह फसलों की बढ़वार में कारगर हो सकती हैं। इससे पानी की अतिरिक्त बर्बादी होने पर भी अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। यह पानी या तो जमीन की सतह पर पहुंचा दिया जाता है या फिर पौध की जड़ के आसपास। ऐसे में पौधों के निचले हिस्से तक पानी पहुंचाने के लिए पाइप्स और ट्यूब्स का सहारा लिया जाता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि इजरायली इंजीनियर शिम्सा ब्लैस ने पहली बार बड़े व लंबे पाइप्स में प्लास्टिक के निकासी प्वॉइंट्स बनाकर ये सिंचाई तकनीक विकसित की थी। वहीं इस देश में सौर ऊर्जा का भी खासा प्रयोग होता है। वहीं इजरायल देश में ऐसी फसलों को उगाया जा रहा है जिन्हें खारे पानी में या पानी की अच्छी गुणवत्ता न होने पर भी उगाया व सींचा जा सकता है। इसके लिए जैतून व अर्गन जैसे पेड़ों को तरजीह दी जा रही है।

ऐसे पेड़-पौधों पर इस देश में ध्यान दिया जा रहा है जो रेगिस्तानी इलाकों में उगाए जा सकते हैं। वहीं एक्वाकल्चर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे प्रोटीन की जरूरत को पूरा किया जा सके और आर्थिक लाभ भी मिल सके। एक्वाकल्चर में खारे पानी की जरूरत होती है। वहीं अरावा रेगिस्तान में भी डेट्स की खेती की जाती है।

तो है ना ये कमाल की बात कि किस तरह से एक देश ने पूरे विश्व में एक उदाहरण बनकर दिखाया और अपनी कृषि तकनीकों के जरिए दुनिया भर में छा गया। यदि इजरायल की तकनीकें अन्य मरूस्थल देश भी अपना लें तो वे भी रेगिस्तानों को हरा-भरा कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सकते हैं। 

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Source: Krishi Jagran