200 नई मंडियां ‘ई-नाम’ प्लेटफॉर्म से जुड़ीं, जानिए किसानों को क्या फायदा होगा

May 04 2020

मोदी सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-Nam) में 7 राज्यों की 200 और मंडियों को जोड़ दिया है. इसके साथ ही इस प्लेटफार्म से देश भर की 785 मंडियां जुड़ गईं हैं, जिसमें किसी भी हिस्से का कोई किसान अपनी उपज बेच सकता है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने बताया कि कृषि उपज के व्यापार के लिए लगभग एक हजार मंडियां मई 2020 तक ‘ई-नाम’ प्लेटफॉर्म से जुड़ जाएंगी. मंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कुरनूल और हुबली की मंडियों के बीच मूंगफली एवं मक्का की लाइव ट्रेडिंग भी देखी. इससे पहले ई-नाम प्लेटफार्म पर 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियां ही काम कर रही थीं. इस पर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो चुका है.

कहां की कितनी नई मंडियां जुड़ीं

ई-नाम प्लेटफॉर्म से नई जुड़ने वाली 200 मंडियों में राजस्थान की 94, तमिलनाडु की 27, गुजरात व उत्तर प्रदेश की 25-25, ओडिशा की 16, आंध्र प्रदेश की 11 एवं कर्नाटक की 2 मंडियां शामिल हैं. कर्नाटक को पहली बार ई-नाम राज्यों की सूची में जोड़ा गया है. इस मौके पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी व सचिव संजय अग्रवाल भी मौजूद रहे.

कब हुई ई-नाम की शुरुआत

-किसानों के लिए उनकी उपज के व्यापार को आसान बनाने की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM narendra modi) ने 14 अप्रैल 2016 को सिर्फ 21 मंडियों के साथ की थी. बीते 4 साल में ही इससे 785 मंडियों को जोड़ दिया गया है.

कृषि मंत्री तोमर ने क्या कहा

-नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ई-नाम प्लेटफार्म कृषि व्यापार में एक अनूठी पहल है, जो किसानों की पहुंच को कई बाजारों-खरीदारों तक डिजिटल रूप से पहुंचाता है. लेन-देन में पारदर्शिता लाता है. गुणवत्ता के अनुसार कीमत दिलाता है. इस प्लेटफार्म पर 1.66 करोड़ से ज्यादा किसान एवं 1.28 लाख से अधिक व्यापारी रजिस्टर्ड हैं. लॉकडाउन के दौरान भी करोड़ों रुपये का व्यापार ई-नाम के माध्यम से हुआ है.

शुरू में 25 कृषि जिंसों (Agricultural commodities) के लिए मानक मापदंड विकसित किए गए थे, जो अब बढ़कर 150 हो गए हैं. ई-नाम मंडियों में कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के परीक्षण की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, जो किसानों को उपज की गुणवत्ता के अनुरूप कीमतें दिलाने में मदद करती हैं. किसान मोबाइल पर भी गुणवत्ता जांच रिपोर्ट देख सकते हैं, मोबाइल से किसान अपने लॉट की ऑनलाइन बोलियों की प्रगति देख सकते हैं.


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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी