16 नई किस्मों को मिली विक्रय अनुमति

July 02 2019

भोपाल राज्य शासन ने खरीफ 2019 के लिए बीटी कॉटन की 16 नई किस्मों को विक्रय अनुमति दी है जबकि कपास की बोनी राज्य में 50 फीसदी क्षेत्र में कर ली गई है। इस लेटलतीफी से जहां एक ओर किसानों को बीज के लिए भटकना पड़ा, वहीं बीज कंपनियां भी खासी परेशान रहीं। 

ज्ञातव्य है कि प्रदेश में लगभग 6 लाख हेक्टेयर में कपास ली जाती है इसमें से लगभग 95 फीसदी क्षेत्र में बीटी कपास लगाई जाती है। इसकी बोनी कृषक अक्षय तृतीया से प्रारंभ कर देते हैं। पिछले वर्षों में शासन द्वारा मई के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में विक्रय अनुमति जारी की जाती रही है परन्तु सरकार बदलते ही सब कुछ बदल गया। अब देर क्यों हुई, यह प्रश्न संदेह को जन्म देता है क्योंकि अनुमति में भी अर्थ का बोलबाला है।

विक्रय अनुमति मिली कंपनियां- मे. जे.के. एग्री जेनेटिक्स, अजीत सीड्स, मेथालिक्स लाईफ साइंस, रासी सीड्स, नियो सीड्स एवं श्रीराम बायोसीड जेनेटिक्स।

इन कंपनियों को नहीं मिली अनुमति- कृषि धन सीड्स, टेरा एग्रोटेक (मानसेंटो), नुजीविडू सीड्स एवं अमर बायोटेक।

जानकारी के मुताबिक इस वर्ष खरीफ के लिए बीटी कॉटन की 10 कंपनियों ने 34 किस्मों का प्रस्ताव दिया था, इसमें राज्य स्क्रूटनी कमेटी ने 6 कंपनियों की 16 नई किस्मों को उपयुक्त व सही पाये जाने पर चयन किया। कमेटी द्वारा चयनित किस्मों में जीईएसी से पंजीयन के बाद कृषि विश्वविद्यालय स्तर पर ट्रायल परिणाम में 3 वर्ष तक सिगनिफिकेंट रही 16 किस्मे हैं। इन किस्मों को विक्रय प्लान के मुताबिक शत- प्रतिशत विक्रय की अनुमति दी गई है। जो बीजी-ढ्ढढ्ढ किस्में हैं। इसके साथ ही ऐसी किस्में जिनके ट्रायल परिणाम दो वर्ष तक सिगनिफिकेंट और एक वर्ष एट पार रहे हैं उन्हें विक्रय प्लान का पचास फीसदी विक्रय की अनुमति दी गई है। शेष किस्मों के लिए संबंधित कंपनियों से कहा गया है कि रिसर्च ट्रायल पुन: उसी अनुसंधान केन्द्र पर करें जहां पूर्व के वर्षों में आयोजित किए जाते रहे हैं जिससे तीन वर्षों के स्टेबिलिटी परिणाम प्राप्त किए जा सकें।

 

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स्रोत: कृषक जगत