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ਆਮ ਜਾਣਕਾਰੀ

सोए वार्षिक घास का पौधा होता है। इसकी सुगंध अच्छी, तेल स्वाद और पीले आकर्षक फूल होते हैं। भारतीय सोए का मूल स्थान उत्तरी भारत है। सौंफ के पौधे की तरह इसका कद 2 से 2.5 फीट होता है। इसके बीज और पत्तों को मसाले के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इन्हें सूप, सलाद, और आचार के लिए प्रयोग किया जाता है। सोए के दाने और तेल से कई प्रकार की दवाईयां भी बनाई जाती हैं। इसके बीज, पत्तों, और तने में से तेल निकाला जाता है। भारत और पाकिस्तान सोए के मुख्य काश्तकार देश हैं। भारत में पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आसाम और पश्चिमी बंगाल सोए की खेती करने वाले मुख्य राज्य हैं।

ਜਲਵਾਯੂ

  • Season

    Temperature

    22-35°C
  • Season

    Rainfall

    75-100cm
  • Season

    Sowing Temperature

    22-28°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25-35°C
  • Season

    Temperature

    22-35°C
  • Season

    Rainfall

    75-100cm
  • Season

    Sowing Temperature

    22-28°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25-35°C
  • Season

    Temperature

    22-35°C
  • Season

    Rainfall

    75-100cm
  • Season

    Sowing Temperature

    22-28°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25-35°C
  • Season

    Temperature

    22-35°C
  • Season

    Rainfall

    75-100cm
  • Season

    Sowing Temperature

    22-28°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    25-35°C

ਮਿੱਟੀ

उपजाऊ मिट्टी सोए के लिए अनुकूल है। अच्छी वृद्धि के लिए अच्छे जल निकास और उच्च कार्बनिक पदार्थ युक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है। मिट्टी की पी एच लगभग 5 से 7 होनी चाहिए और औसतन पी एच 6.2 होनी चाहिए।

ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਸਮਾਂ ਅਤੇ ਝਾੜ

Local:  इस किस्म का कद 160 सैं.मी. होता है और फूल पीले होते हैं। यह 190 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसके फूल हल्के पीले रंग के जबकि फल लम्बा और अंडाकार होता है।

ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ

अच्छी वृद्धि और अच्छी उपज के लिए तैयार बैडों की आवश्यकता होती है। ज़मीन को 2 से 3 बार अच्छी तरह जोत कर तैयार कर लें। हर बार जोताई करने के बाद खेत में सुहागा फेर दें।

ਬਿਜਾਈ

बिजाई का समय
अक्तूबर का दूसरा पखवाड़ा इसकी बिजाई का सही समय होता है।
 
फासला
यूरोपियन सोए के लिए कतारों में 60 सैं.मी. और पौधे से पौधे में 20 सैं.मी. का फासला रखा जाता है।
भारतीय सोए के लिए कतारों में 40-50 सैं.मी. और पौधे से पौधे में 20 सैं.मी. का फासला रखा जाता है।
 
बीज की गहराई
बीज को 3-4 सैं.मी. की गहराई पर बोयें।
 
बिजाई का ढंग
आमतौर पर इसकी बिजाई छींटे द्वारा की जाती है लेकिन कतारें बनाकर सोए की बिजाई करना भी अच्छा ढंग है।

ਬੀਜ

बीज की मात्रा
बिजाई के लिए 2 किलो बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
 
बीज का उपचार
फसल को ऑल्टरनेरिया पत्तों के धब्बा रोग से बचाने के लिए बिजाई से पहले बीज को गर्म पानी (50 डिगरी सै.) में 25-30 मिनट के लिए भिगो दें।

ਖਾਦਾਂ

खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)

UREA SSP MURIATE OF POTASH
75 On soil test results On soil test results

 

तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
35 - -

 

35 किलो नाइट्रोजन (75 किलो यूरिया ) 2 या 3 बार समान मात्रा में डालें। उचित मात्रा में खाद डालने के लिए मिट्टी की जांच करवाना जरूरी है। मिट्टी की जांच के आधार पर यदि फासफोरस की कमी हो तो इस तत्व की खाद का भी प्रयोग करें।

 

ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ

यदि इसे सीधे तौर पर रसोई में प्रयोग करना हो तो इस पर किसी भी नदीन नाशक का प्रयोग ना करें। बीजने से 30-40 दिनों के बाद पहली गोडाई करें।

ਸਿੰਚਾਈ

अच्छे अंकुरण के लिए बिजाई से पहले सिंचाई करें। दूसरा पानी बिजाई के 10-15 दिनों के बाद लगाएं। बाकी पानी इस प्रकार दें कि फसल के लिए आवश्यक नमी ज़मीन में रहे। इस बात का ध्यान रखें कि फूल लगते समय पानी की कमी ना हो।

ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ

  • हानिकारक कीट और रोकथाम
हरी सुंडी : यह नीले हरे रंग की सुंडी है जो कि सोए के पत्तों को खाती है। जिस बूटे पर यह सुंडी दिखे उसे हाथ से उखाड़ दें।
 
  • बीमारियां और रोकथाम
ऑल्टरनेरिया झुलस रोग : इस रोग से पत्ते बेरंग हो जाते हैं और गिर जाते हैं। कई बार यह बीमारी बीजों से ही पैदा होती है। नए पौधे और पुराने पत्ते इस रोग के काफी हद तक संवेदनशील होते हैं।
 
इसकी रोकथाम के लिए फसली चक्र अपनाएं। हर बार एक ही खेत में सोए की खेती ना करें। साफ बीजों का प्रयोग करें। बिजाई से पहले बीजों को गर्म पानी 50 डिगरी सैल्सियस पर 25-30 मिनट के लिए डुबोकर रखें। यदि इसका हमला दिखे तो मैनकोजेब 3 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फोलियर स्प्रे करें।

ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ

मई के पहले सप्ताह में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। जब फूल का रंग हल्का पीला हो जाए तो सोए कटाई के लिए तैयार होते हैं। कटाई सुबह के समय करनी चाहिए यह सोए के दानों का स्वाद बढ़ा देती है इसके बाद इसे झाड़ कर दाने अलग कर लें।