Krishna Tulsi (Ocimum sanctum):- यह भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में पायी जाती है। इस किस्म के पत्ते जामुनी रंग के होते हैं। यह किस्म विटामिन ए, विटामिन के और बीटा केरोटीन का उच्च स्त्रोत है। यह मुख्य स्त्रोत जैसे मैगनीशियम, कैल्शियम, आयरन, पोटाशियम और विटामिन सी भी देती है। इस किस्म का उपयोग तुलसी तेल बनाने में किया जाता है जो कि मच्छरों से छुटकारा दिलाता है और एक औषधीय दवा है।
Drudriha Tulsi: यह मुख्य रूप से बंगाल, नेपाल, चटगांव और महाराष्ट्र क्षेत्रों में पाई जाती है| यह गले को सूखेपन से राहत देता है| यह हाथों, पैरों और गठिया की सूजन से आराम देता है|
Ram/Kali Tulsi (Ocimum canum): यह चीन, ब्राज़ील, पूर्व नेपाल और साथ ही बंगाल, बिहार, चटगांव और भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में पाई जाती है| इसका तना जामुनी और पत्ते हरे रंग के और बहुत ज्यादा सुगंधित होते है| इसमें उचित मात्रा में औषधीय गुण जैसे ऐज़ाडिरैकटिन, ऐंटीफंगल , ऐंटीबैक्टीरियल, और पाचन तंत्र को ठीक रखती है| यह गर्म क्षेत्रों में बढ़िया उगता है|
Babi Tulsi: यह पंजाब से त्रिवेंद्रम, बंगाल और बिहार में भी पाई जाती है| इसका पौधा 1-2 फीट लम्बा होता है| पत्ते 1-2 इंच लम्बे, अंडाकार और नुकीले होते है| इसके पत्तों का स्वाद लौंग की तरह और सब्जियों में स्वाद के लिए प्रयोग किया जाता है|
Tukashmiya Tulsi : यह भारत और ईरान के पश्चिमी क्षेत्रों में पाई जाती है| इसका प्रयोग गले की परेशानी, अम्लता और कोढ़ आदि के इलाज के लिए किया जाता है|
Amrita Tulsi: यह पूरे भारत में पाई जाती है| इसके पत्ते गहरे जामुनी और घनी झाड़ी वाले होते हैं| यह कैंसर, दिल की बीमारियां, गठिया, डायबिटीज और पागलपन के इलाज के लिए प्रयोग की जाती है|
Vana Tulsi (Ocimum gratissimum): यह हिमालय और भारत के समतल प्रदेशों में पाई जाती है| यह किस्म का पौधा बाकी किस्मों के मुकाबले लम्बा होता है| यह सेहत के लिए लाभदायक होती है जैसे कि तनाव मुक्त करना, पाचन तंत्र और पेट के छालों के इलाज में सहायक है| इसके पत्ते तीखे और सुगंध लौंग की तरह सुगंधित होती है|
Kapoor Tulsi (Ocimum sanctum): यह मुख्य यू. एस. ऐ में विकसित होती है पर यह भारत में पुराने समय से उगाई जाती है| यह मुख्यतः जलवायु के तापमान में आसानी से विकास करती है| इसके सूखे पत्तों को चाय बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है|