ਖੇਤੀਬਾੜੀ

ਜਲਵਾਯੂ
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Temperature
26-30°C -
Rainfall
750-1200mm
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Temperature
26-30°C -
Rainfall
750-1200mm
ਮਿੱਟੀ
यह बहुत किस्म की मिट्टी जैसे की रेतली से दोमट मिट्टी में उगाई जा सकती है, पर यह ज्यादा उपजाऊ और अच्छे निकास वाली मिट्टी में बढिया पैदावार देती है| इसकी खेती हल्की रेतली और भारी चिकनी मिट्टी में ना करें, क्योंकि इसमें गांठों का विकास अच्छी तरह से नहीं होता हैं| इसके लिए मिट्टी का pH 5.8-6.7 होना चाहिए|
ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਸਮਾਂ ਅਤੇ ਝਾੜ
ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ
शकरकंदी की खेती के लिए, खेत को अच्छी तरह से तैयार करें| मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा बनाने के लिए, बिजाई से पहले खेत की 3-4 बार 15-20 सैं.मी. की गहराई परजोताई करें, फिर सुहागा फेरें| खेत को नदीन मुक्त रखना चाहिए| बिजाई के लिए मेंड़, खालियां या समतल बैड ढंग प्रयोग किये जाते हैं। खेत में पानी के निकास की समस्या होने के कारण, रोपाई के लिए मेंड़ का प्रयोग किया जाता है और जहां भूमि कटाव की समस्या होती है वहां रोपाई के लिए मेंड़ और खालियों का प्रयोग किया जाता है।
ਬਿਜਾਈ
ਪ੍ਰਜਣਨ
ਬੀਜ
ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ
नदीनों के अंकुरण से पहले मैट्रीब्यूज़िन 70 डब्लयू पी 200 ग्राम या ऐलाक्लोर 2 लीटर प्रति एकड़ डालें| केवल 5-10% अंकुरण और मेंड़ पर नदीन का हमला होने पर पैराकुएट 500-750 मि.ली. प्रति एकड़ में डालें|
ਸਿੰਚਾਈ
बिजाई के बाद, पहले 10 दिन हर 2 हफ्ते में एक बार सिंचाई करें और फिर 7-10 दिनों में एक बार सिंचाई करें| पुटाई से 3 हफ्ते पहले सिंचाई करना बंद कर दें| पर पुटाई से 2 दिन पहले एक सिंचाई जरूरी होती है|
ਖਾਦਾਂ
Well decomposed cow dung@10 tonnes per acre is mixed before 2-3 weeks of transplanting at the time of land preparation. Overall it required Fertilizer dose of Nitrogen@16-24 kg/acre (Urea@35-55 kg), phosphorus@20 kg (SSP@125 kg) and potash@16-24 kg/acre (MOP@30-40kg). Full dose of Phosphorus and half dose of nitrogen and potash are added at the time of transplanting. Rest of the dose of nitrogen is added after 1 month of transplanting.
ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ

- बीमारियां और रोकथाम



- हानिकारक कीट और रोकथाम


ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ
यह फसल रोपाई के 120 दिनों के बाद पुटाई के लिए तैयार हो जाती है। पुटाई मुख्य तौर पर गांठों के पकने पर और पत्तों के पीले रंग के होने पर की जाती है। गांठों की कटाई करने पर यदि यह हरे काले रंग की होती है तो गांठे पुटाई के लिए तैयार नहीं होती। पुटाई गांठों को उखाड़कर की जाती है। इसकी औसतन पैदावार 80-100 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। पुटाई में देरी ना करें क्योंकि इससे आलू की भुंडी का खतरा बढ़ जाता है।
ਕਟਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ
पुटाई के बाद इन्हें क्यूरिंग उद्देश्य के लिए पांच से छ दिन छांव में रखें। उसके बाद साफ करें और गांठों की छंटाई करें।