ਖੇਤੀਬਾੜੀ

ਜਲਵਾਯੂ
-
Temperature
30-45°C -
Rainfall
900-3000mm -
Sowing Temperature
30-35°C -
Harvesting Temperature
15-20°C
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Temperature
30-45°C -
Rainfall
900-3000mm -
Sowing Temperature
30-35°C -
Harvesting Temperature
15-20°C
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30-45°C -
Rainfall
900-3000mm -
Sowing Temperature
30-35°C -
Harvesting Temperature
15-20°C
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30-45°C -
Rainfall
900-3000mm -
Sowing Temperature
30-35°C -
Harvesting Temperature
15-20°C
ਮਿੱਟੀ
इसके सख्तपन के कारण इस फसल को हर किस्म की मिट्टी में उगाया जा सकता है। मिट्टी में अच्छी नमी होनी चाहिए। जब इसे अच्छे जल निकास वाले नमी, गहरी, रेतली दोमट मिट्टी में उगाया जाता है, तब यह अच्छी पैदावार देती है। नए पौधों के शुरूआती विकास के समय यह छांव को सहन कर सकती है।
ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ
बहेड़ा की खेती के लिए अच्छी तरह तैयार ज़मीन की जरूरत होती है। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए ज़मीन की जोताई करें। जोताई के बाद मॉनसून आने से पहले गड्ढे खोदें। निचले इलाकों में पौधे के अच्छे विकास के लिए बड़े आकार के गड्ढे खोदें।
ਬਿਜਾਈ
ਬੀਜ
ਪਨੀਰੀ ਦੀ ਸਾਂਭ-ਸੰਭਾਲ ਅਤੇ ਰੋਪਣ
ਖਾਦਾਂ
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP |
100 | 250 | 100 |
ज़मीन की तैयारी के समय प्रत्येक गड्ढे में रूड़ी की खाद 10 किलो डालें। प्रत्येक गड्ढे में खादों के तौर पर यूरिया 100 ग्राम, सुपर फासफेट 250 ग्राम और म्यूरेट ऑफ पोटाश 100 ग्राम डालें। खादों की मात्रा आने वाले समय में आवश्कतानुसार बढ़ाई जा सकती है।
ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ
खेत को नदीन मुक्त रखने के लिए लगातार गोडाई करते रहें। यदि नदीनों को ना रोका जाये तो यह फसल की पैदावार कम कर देता है। लगातार दो साल गोडाई करते रहें। बिजाई से 1 महीने बाद, 1 महीने के फासले पर गोडाई करें। मलचिंग भी मिट्टी का तापमान कम करने और नदीनों की रोकथाम के लिए एक प्रभावशाली तरीका है।
ਸਿੰਚਾਈ
गर्मियों में मार्च, अप्रैल और मई महीने में हर सप्ताह 3 बार सिंचाई करें।
ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ
- हानिकारक कीट और रोकथाम
ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ
जब फल हरे-सलेटी रंग के हो जायें तो तुड़ाई की जाती है। तुड़ाई आमतौर पर नवंबर-फरवरी महीने में की जाती है। फल पकने के तुरंत बाद तुड़ाई कर लेनी चाहिए।
ਕਟਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ
कटाई के बाद बीजों को सुखाया जाता है। बीजों को धूप में सुखाकर हवा मुक्त पैकट में मंडी ले जाने के लिए और इनकी उम्र बढ़ाने के लिए पैक कर दिया जाता है। इसके सूखे बीजों से बहुत सारे उत्पाद जैसे कि त्रिफला कुरना, बिभीताकी सुरा, बिभी टाका घड़ता और त्रिफला घरता आदि तैयार किए जाते हैं।