ਖੇਤੀਬਾੜੀ

-
Temperature
20-25°C -
Sowing Temperature
20-25°C -
Harvesting Temperature
35-37°C -
Rainfall
500-700mm
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Temperature
20-25°C -
Sowing Temperature
20-25°C -
Harvesting Temperature
35-37°C -
Rainfall
500-700mm
ਜਲਵਾਯੂ
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Temperature
20-25°C -
Sowing Temperature
20-25°C -
Harvesting Temperature
35-37°C -
Rainfall
500-700mm
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Temperature
20-25°C -
Sowing Temperature
20-25°C -
Harvesting Temperature
35-37°C -
Rainfall
500-700mm
ਮਿੱਟੀ
इसकी खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती हैं| यह बढ़िया निकास वाली रेतली-दोमट और जैविक तत्वों की भरपूर मात्रा वाली मिट्टी में अच्छी पैदावार देती है|
ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਸਮਾਂ ਅਤੇ ਝਾੜ
ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ
ਖਾਦਾਂ
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA |
SSP | MOP |
35 | 50 | On soil test results |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
16 | 8 | - |
नाइट्रोजन 16 किलो(यूरिया 35 किलो) और फासफोरस 8 किलो (एस एस पी 50 किलो) प्रति एकड़ में डालें| अगर ज़मीन में पौष्टिक तत्वों की कमी हो तो, फासफोरस और बाकी की सारी खादें बिजाई से पहले ड्रिल मशीन के साथ डालें|
ਬਿਜਾਈ
ਬੀਜ
ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ
कुसुम की फसल फूल बनने के समय नदीनों से ज्यादा प्रभावित होती है| फूल बनने के समय डैकनी क्षेत्रों में 25-30 दिन और ज्यादा सर्दी पड़ने वाले क्षेत्रों में 2 महीने या इससे ज्यादा होता है| इस नाज़ुक समय खेत को नदीं मुक्त रखने के लिए बिजाई से 45-50 दिन की बजाए 25-30 दिन बाद नियमित 1-2 बार गोड़ाई करें| रोपाई से पहले ट्रिफ्लुरालिन 400 मि.ली. या नदीनों के अंकुरण से पहले एट्राज़िन 0.3 किलो या एलाक्लोर 0.6 किलो प्रति एकड़ में डालें।
ਸਿੰਚਾਈ
जहां पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, यह फसल उन क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती हैं और मौसम के अनुसार मिट्टी में नमी मौजूद होती है| फूल निकलने के समय पानी की बहुत जरूरत होती है और बढ़िया पैदावार के लिए 30 दिन के बाद एक बार सिंचाई करें| जहां पर मिटी में नमी कम हो तो, बिजाई से पहले एक भारी सिंचाई करें| यह फसल के विकास के लिए लाभदायक होती है|
ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ

- कीट और रोकथाम


- बीमारियां और रोकथाम
ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ
कुसुम की फसल 150-180 दिनों में पक जाती है| इसकी कटाई फूल पीले-भूरे रंग के होने पर मध्य-मई में करें|