ਖੇਤੀਬਾੜੀ

ਜਲਵਾਯੂ
-
Temperature
33-40°C -
Rainfall
650-830 mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
20-25°C
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Temperature
33-40°C -
Rainfall
650-830 mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
20-25°C
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33-40°C -
Rainfall
650-830 mm -
Sowing Temperature
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Harvesting Temperature
20-25°C
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33-40°C -
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650-830 mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
20-25°C
ਮਿੱਟੀ
इसे बहुत तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। यह घटिया निकास प्रबंध को भी सहन कर सकती है। यह सैलाबी दलदली मिट्टी में अच्छी पैदावार देती है। इसे दलदली इलाकों, नहरों और अन्य जल स्त्रोतों के पास उगाया जा सकता है। इसके अच्छे विकास के लिए इसे तेजाबी मिट्टी की जरूरत होती है।
ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਸਮਾਂ ਅਤੇ ਝਾੜ
ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ
ब्राह्मी की खेती के लिए, भुरभुरी और समतल मिट्टी की जरूरत होती है। मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरा बनाने के लिए, खेत को जोतें और फिर हैरों का प्रयोग करें। जब ज़मीन को प्लाटों में बदल दिया जाये तो तुरंत सिंचाई करें। जोताई करते समय 20 क्विंटल रूड़ी की खाद डालें और मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।
ਬਿਜਾਈ
ਬੀਜ
ਪਨੀਰੀ ਦੀ ਸਾਂਭ-ਸੰਭਾਲ ਅਤੇ ਰੋਪਣ
ਖਾਦਾਂ
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MURIATE OF POTASH |
87 | 150 | 40 |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
40 | 24 | 24 |
खेत की तैयारी के समय 20 क्विंटल रूड़ी की खाद डालें और अच्छी तरह मिट्टी में मिलायें। इसके इलावा नाइट्रोजन 40 किलो (87 किलो यूरिया), फासफोरस 24 किलो (150 किलो सिंगल सुपर फासफेट) और पोटाश 24 किलो (40 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग करें। फासफोरस और पोटाश को शुरूआती खाद के तौर पर डालें और नाइट्रोजन को 3 हिस्सों में डालें। पहला हिस्सा बिजाई के 30 दिन बाद, फिर दूसरा हिस्सा 60-70 दिन बाद और तीसरा हिस्सा 90 दिनों के बाद डालें।
ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ
खेत को नदीन मुक्त रखने के लिए हाथों से गोडाई करें। पहली गोडाई पनीरी लगाने के 15-20 दिनों के बाद और फिर दूसरी गोडाई 2 महीनों के फासले पर करें।
ਸਿੰਚਾਈ
यह वर्षा ऋतु की फसल है, इसलिए इसे वर्षा ऋतु खत्म होने के बाद तुरंत पानी की आवश्यकता होती है। सर्दियों में 20 और गर्मियों में 15 दिनों के फासले पर सिंचाई करें।
ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ
- हानिकारक कीट और रोकथाम
ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ
पनीरी लगाने के 5-6 महीने बाद पौधा उपज देनी शुरू कर देता है। इसकी कटाई अक्तूबर-नवंबर महीने में की जाती है। कटाई के लिए पौधे का जड़ से ऊपर वाला हिस्सा जो कि 4-5 सैं.मी. होता है, को काटा जाता है। एक वर्ष में 2-3 कटाई की जा सकती है।
ਕਟਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ
कटाई के बाद ताजी सामग्री को छांव में सुखाया जाता है। फिर लंबी दूरी पर ले जाने के लिए हवा-मुक्त पैकटों में पैक कर लिया जाता है। इस सूखी हुई सामग्री से बहुत सारे उत्पाद जैसे कि ब्राह्मीघृतम, सरस्वतरिस्तम, ब्राह्मीताइलम, मिसराकसनिहाम, मैमरी पलस आदि तैयार किए जाते हैं।