ਖੇਤੀਬਾੜੀ

ਜਲਵਾਯੂ
-
Temperature
15-30°C -
Rainfall
100cm -
Sowing Temperature
15-20°C25-30°C -
Harvesting Temperature
20-25°C18-22°C
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Temperature
15-30°C -
Rainfall
100cm -
Sowing Temperature
15-20°C25-30°C -
Harvesting Temperature
20-25°C18-22°C
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Temperature
15-30°C -
Rainfall
100cm -
Sowing Temperature
15-20°C25-30°C -
Harvesting Temperature
20-25°C18-22°C
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Temperature
15-30°C -
Rainfall
100cm -
Sowing Temperature
15-20°C25-30°C -
Harvesting Temperature
20-25°C18-22°C
ਮਿੱਟੀ
यह सख्त किस्म की फसल है और इसकी पैदावार के लिए हर तरह की मिट्टी अनुकूल होती है, जिसमें हल्की से लेकर भारी और कम निकास वाली मिट्टी भी शामिल है। इसकी पैदावार 6.5 से 7.5 पी एच वाली मिट्टी में भी की जा सकती है। अच्छी पैदावार के लिए इसे गहरे तल, अच्छे निकास वाली रेतली चिकनी मिट्टी से लेकर चिकनी मिट्टी में बीजना चाहिए।
ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਸਮਾਂ ਅਤੇ ਝਾੜ
ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ
ਬਿਜਾਈ
ਪ੍ਰਜਣਨ
इसके पौधे बीज लगाके या कलम विधि के द्वारा तैयार किए जाते हैं। सरदार किस्म के बूटों पर बीज मुरझाने की बीमारी का असर नहीं होता और इन्हें जड़ों के द्वारा पनीरी तैयार करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके पूरी तरह पके हुए फलों में से बीज तैयार करके उन्हें बैड या नर्म क्यारियों में अगस्त से मार्च के महीने में बीजना चाहिए। क्यारियों की लंबाई 2 मीटर और चौड़ाई 1 मीटर तक होनी चाहिए। बिजाई से 6 महीने के बाद पनीरी खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाती है। नईं अंकुरित पनीरी की चौड़ाई 1 से 1.2 सैं.मी. और ऊंचाई 15 सैं.मी. तक हो जाने पर यह अंकुरन विधि के लिए प्रयोग करने के लिए तैयार हो जाती है। मई से जून तक का समय कलम विधि के लिए अनुकूल होता है। नए पौधे और ताजी कटी टहनियों या कलमें अंकुरन विधि के लिए प्रयोग की जा सकती हैं।
ਕਟਾਈ ਅਤੇ ਛੰਗਾਈ
पौधों की मजबूती और सही वृद्धि के लिए कटाई और छंटाई की जरूरत होती है। जितना मजबूत बूटे का तना होगा, उतनी ही पैदावार अधिक अच्छी गुणवत्ता भरपूर होगी। बूटे की उपजाई क्षमता बनाए रखने के लिए फलों की पहली तुड़ाई के बाद बूटे की हल्की छंटाई करनी जरूरी है। जब कि सूख चुकी और बीमारी आदि से प्रभावित टहनियों की कटाई लगातार करनी चाहिए। बूटे की कटाई हमेशा नीचे से ऊपर की तरफ करनी चाहिए। अमरूद के बूटे को फूल, टहनियां और तने की स्थिति के अनुसार पड़ते हैं इसलिए साल में एक बार पौधे की हल्की छंटाई करने के समय टहनियों के ऊपर वाले हिस्से को 10 सैं.मी. तक काट देना चाहिए। इस तरह कटाई के बाद नईं टहनियां अकुंरन में सहायता मिलती है।
ਅੰਤਰ-ਫਸਲਾਂ
अमरूद के बाग में पहले 3 से 4 वर्ष के दौरान मूली, भिंडी, बैंगन और गाजर की फसल उगाई जा सकती है। इसके इलावा फलीदार फसलें जैसे चने, फलियां आदि भी उगाई जा सकती हैं।
ਖਾਦਾਂ
ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ
अमरूद के बूटे के सही विकास और अच्छी पैदावार के लिए नदीनों की रोकथाम की जरूरत पड़ती है। नदीनों की वृद्धि पर नज़र रखें। मार्च, जुलाई और सितंबर महीने में ग्रामोक्सोन 6 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें। नदीनों की वृद्धि को रोकने के लिए गलाईफोसेट 1.6 लीटर पानी में डालकर (नदीनों को फूल पड़ने और उनकी उंचाई 15 से 20 सैं.मी. तक हो जाने से पहले) प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें।
ਸਿੰਚਾਈ
पहली सिंचाई पौधे लगाने के तुरंत बाद और दूसरी सिंचाई तीसरे दिन करें। इसके बाद मौसम और मिट्टी की किस्म के हिसाब से सिंचाई की जरूरत पड़ती है। अच्छे और तंदरूस्त बागों में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती। नए लगाए पौधों को गर्मियों में सप्ताह बाद और सर्दियों के महीने में 2 से 3 बार सिंचाई की जरूरत होती है। पौधे को फूल लगने के समय ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती क्योंकि ज्यादा सिंचाई से फूल गिरने का खतरा बढ़ जाता है।
ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ

- हानिकारक कीट और रोकथाम

मिली बग : ये पौधे के विभिन्न भागों में से रस चूसते हैं जिससे पौधा कमज़ोर हो जाता है। यदि रस चूसने वाले कीटों का हमला दिखे तो क्लोरपाइरीफॉस 50 ई सी 300 मि.ली. को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।



- बीमारियां और रोकथाम

ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ
बिजाई के 2-3 साल बाद अमरूद के बूटों को फल लगने शुरू हो जाते हैं। फलों के पूरी तरह पकने के बाद इनकी तुड़ाई करनी चाहिए। पूरी तरह पकने के बाद फलों का रंग हरे से पीला होना शुरू हो जाता है। फलों की तुड़ाई सही समय पर कर लेनी चाहिए। फलों को ज्यादा पकने नहीं देना चाहिए, क्योंकि ज्यादा पकने से फलों के स्वाद और गुणवत्ता प्रभावित होती है।
ਕਟਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ
फलों की तुड़ाई करें। इसके बाद फलों को साफ करें, उन्हें आकार के आधार पर बांटे और पैक कर लें। अमरूद जल्दी खराब होने वाला फल है। इसलिए इसे तुड़ाई के तुरंत बाद बाजार में बेचने के लिए भेज देना चाहिए। इसे पैक करने के लिए कार्टून फाइबर बॉक्स या अलग अलग आकार के गत्ते के डिब्बे या बांस की टोकरियों का प्रयोग करना चाहिए।