ਖੇਤੀਬਾੜੀ

ਜਲਵਾਯੂ
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Temperature
20-30°C -
Rainfall
200-300mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
20-25°C
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ਮਿੱਟੀ
आड़ू की फसल को गहरी रेतली दोमट मिट्टी जिसमें जैविक तत्वों की मात्रा और पानी का बढिया निकास हो की जरूरत होती है| इसके लिए मिट्टी का pH 5.8 और 6.8 होना चाहिए| आड़ू की फसल के लिए तेज़ाबी और नमकीन मिट्टी उचित नहीं है| इसकी खेती के लिए हल्की ढलान वाली ज़मीन उचित मानी जाती है| इसके फल तलहटी, उच्च-पहाड़ी और सामान्य क्षेत्रों में बढिया बनावट लेते है|
ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਸਮਾਂ ਅਤੇ ਝਾੜ
ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ
खेत नदीन और झाड़ियों से रहित होना चाहिए। खड़ी ढलानों वाले क्षेत्रों में रोपाई के लिए कोंटूर विधि का प्रयोग किया जाता है जबकि मैदानी क्षेत्रों में रोपाई के लिए वर्गाकार विधि का प्रयोग किया जाता है। 4.5मीटर x 4.5 मीटर के फासले पर 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर के आकार के गड्ढे खोदें। गड्ढों को 30 सैं.मी. तक मिट्टी, 20 किलो गाय का गला हुआ गोबर, 125 ग्राम यूरिया, 250 ग्राम एस एस पी और 25 ग्राम क्लोरपाइरीफॉस से भरें।
ਬਿਜਾਈ
ਬੀਜ
ਪ੍ਰਜਣਨ
ਖਾਦਾਂ
खादें (ग्राम प्रति वृक्ष)
Age of tree | NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
10th year | 300 | 500 | 300 |
ਕਟਾਈ ਅਤੇ ਛੰਗਾਈ
इस फसल को नियमित और अधिक छंटाई की आवश्यकता होती है। अक्तूबर के आखरी सप्ताह में छंटाई करें। छंटाई इसलिए की जाती है कि पौधे की वृद्धि 25-50 सैं.मी. से ज्यादा ना हो। छंटाई के लिए मध्य सर्दी का मौसम उपयुक्त होता है। छंटाई में ज़मीनी स्तर से 45 सैं.मी. ऊपर तक मुख्य तने की सफाई करें। अनावश्यक, बीमारी और कमज़ोर शाखाओं को दूसरे वर्ष में निकाल दें।
ਸਿੰਚਾਈ
पौधे की बिजाई के बाद, तुरंत सिंचाई करें| बारिश के मौसम में, पौधों को पानी की जरूरत नहीं होती है| तुपका सिंचाई पानी के प्रभावशाली प्रयोग के लिए उचित विधि है | इस फसल को गंभीर अवस्था में सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है, जैसे कि सूखा पड़ने पर आदि| फूलों के अंकुरण, कलम लगाने की अवस्था, फलों के विकास के समय फसल को सिंचाई की आवश्यकता होती है|
ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ
इस फसल को बार-बार गोड़ाई की जरूरत पड़ती है, हालांकि यह थकाने वाला और महंगा काम है| आड़ू की जड़ें अस्थायी होती है, जो लगातार जोताई करने से क्षतिग्रस्त हो जाती है| इस लिए नदीन-नाशक का प्रयोग करना उचित है| नए बाग़ों में फरवरी-मार्च में चौड़े पत्तों और घास वाले नदीन ज्यादा पैदा होते है, इसकी रोकथाम के लिए नदीनों के अंकुरण से पहले डीयूरोन 800 ग्राम से 1 किलो प्रति एकड़ और अंकुरण के बाद ग्लाइफोसेट 6 मि.ली. प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करें|
ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ
- बीमारीयां और रोकथाम
- हानिकारक कीट और रोकथाम
ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ
अप्रैल से मई का महीना आड़ू की फसल के लिए मुख्य तुड़ाई का समय होता है| इनका बढ़िया रंग और नरम गुद्दा पकने के लक्षण दिखाता है| आड़ू की तुड़ाई वृक्ष को हिला कर की जाती है|
ਕਟਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ
तुड़ाई के बाद इनको सामान्य तामपान पर स्टोर कर लिया जाता है और स्क्वेश आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है|