ਖੇਤੀਬਾੜੀ

ਜਲਵਾਯੂ
-
Temperature
15-30°C -
Rainfall
50-100cm -
Sowing Temperature
8-18°C -
Harvesting Temperature
15-25°C
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Temperature
15-30°C -
Rainfall
50-100cm -
Sowing Temperature
8-18°C -
Harvesting Temperature
15-25°C
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Temperature
15-30°C -
Rainfall
50-100cm -
Sowing Temperature
8-18°C -
Harvesting Temperature
15-25°C
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Temperature
15-30°C -
Rainfall
50-100cm -
Sowing Temperature
8-18°C -
Harvesting Temperature
15-25°C
ਮਿੱਟੀ
इसके सख्तपन के कारण इसकी खेती मिट्टी की किस्मों जैसे तेजाबी और हल्की क्षारीय में की जाती है। इसे रेतली दोमट उपजाऊ मिट्टी, जिसका pH 6-8.2 हो , में बढ़िया पैदावार देती है|
ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਸਮਾਂ ਅਤੇ ਝਾੜ
ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ
मुलेठी की खेती के लिए, खेत को अच्छी तरह से समतल करें। मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा बनाने के लिए, ज़मीन की अच्छी तरह से जोताई करें और पानी ना खड़ा होने दें|
ਬਿਜਾਈ
ਬੀਜ
ਪਨੀਰੀ ਦੀ ਸਾਂਭ-ਸੰਭਾਲ ਅਤੇ ਰੋਪਣ
ਖਾਦਾਂ
इसे किसी खाद की जरूरत नहीं होती। यदि मिट्टी हल्की हो तो, खेत की तैयारी के समय रूड़ी की खाद मिट्टी में डालें और मिक्स करें| मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए मलचिंग की जाती है।
ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ
खेत को नदीनों से मुक्त करने के लिए निराई- गोडाई की जाती है। पहले साल में 3-4 बार खुरपे की सहायता से गोड़ाई करें, फिर अगले सालों में 2 गोड़ाईयां करें|
ਸਿੰਚਾਈ
गर्मियों के सूखे मौसम में 30-45 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें और सर्दियों में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। फसल को कुल 7-10 सिंचाइयां दी जा सकती हैं। पानी की स्थिरता से बचा जाना चाहिए क्योंकि इससे जड़ गलन की बीमारी होती है।
ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ

- हानिकारक कीट और रोकथाम



- बीमारियां और रोकथाम
ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ
ढ़ाई या तीन साल में पौधा उपज देना शुरू कर देता है। उद्देश्य के अनुसार कटाई की जाती है। जैसे स्थानीय बाजार में ही भेजनी है या दूर के स्थानों पर । कटाई मुख्यत: सर्दियों (नवंबर से दिसंबर) महीने में की जाती है ताकि उच्च मात्रा में ग्लाइसिराइजिक एसिड प्राप्त किया जा सके। उत्पाद तैयार करने के लिए जड़ों का प्रयोग किया जाता है।
ਕਟਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ
कटाई के बाद जड़ों को धूप में सुखाया जाता है फिर छंटाई की जाती है। जड़ों को हवा रहित बैग में डाला जाता है। सूखी जड़ों से कई तरह के उत्पाद जैसे चाय, पाउडर आदि बनाए जाते हैं।