ਖੇਤੀਬਾੜੀ

ਮਿੱਟੀ
तिल की खेती के लिए अच्छे निकास वाली हल्की से दरमियानी मिट्टी जिसमें पानी को बांधने की अच्छी क्षमता हो, उपयुक्त होती है। मिट्टी की पी एच 5 से 8 होनी चाहिए। क्षारीय और तेजाबी मिट्टी में तिल की खेती ना करें।
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Rainfall
500-700mm
ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਸਮਾਂ ਅਤੇ ਝਾੜ
ਖੇਤ ਦੀ ਤਿਆਰੀ
खेत की देसी हल की सहायता से एक बार जोताई करें। उसके बाद 1-2 तिरछी जोताई करें। मिट्टी को समतल करें ताकि खेत में पानी खड़ा ना हो सके।
ਬਿਜਾਈ
ਬੀਜ
ਖਾਦਾਂ
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP |
30 | 40 | - |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
12 | 6 | - |
ਸਿੰਚਾਈ
खरीफ के मौसम में वृद्धि के लिए कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। बारिश की तीव्रता और नियमितता के आधार पर जीवन बचाव सिंचाई दें। फूल निकलने और फल बनने के समय पानी की कमी ना होने दें।
ਨਦੀਨਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ
खेत को नदीन मुक्त करने के लिए बिजाई के 20-25 दिन बाद पहली गोडाई करें। दूसरी गोडाई बिजाई के 40-45 दिन बाद करें। नदीनों की रासायनिक रोकथाम के लिए उनके अंकुरण से पहले फलूक्लोरालिन 800 ग्राम या एलाक्लोर 1 ली. प्रति एकड़ में डालें।
ਪੌਦੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ

- हानिकारक कीट और रोकथाम




- बीमारियां और रोकथाम


ਫਸਲ ਦੀ ਕਟਾਈ
जब पत्ते और फल रंग बदल कर पीले रंग के हो जायें और पत्ते गिरना शुरू हो जायें, तब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई करने में देरी ना करें, इससे फल नष्ट हो जाते हैं।
ਕਟਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ
कटाई के बद फसल को बंडलों में इक्ट्ठा करें और अच्छे से सुखाने के लिए कई दिनों तक फर्श पर ढेर लगा दें। लाठियां मारकर बीजों को फसल से अलग कर लें। सफाई के बाद बीजों को तीन दिनों के लिए धूप में सुखाएं। उसके बाद बोरियों में स्टोर करके रख दें।