इजराइल की तकनीक से पकड़ेंगे मछली, इंदिरा गांधी कृषि विवि में पहली बार प्रयोग हो रहा शुरू

November 30 2018

 मछली पालकों अब तालाब खुदवाने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि खेत या घर के आसपास 250 स्क्वायर फीट के सीमेंट के टैंक में मछली पालन कर सकते हैं। प्रदेश में पहली बार यह तकनीक ब्राजील के आधार पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में शुरू हो रही है। विवि के मत्स्य वैज्ञानिक डॉ.एस सासमल ने बताया कि बायोफ्लॉक तकनीक अन्य योजनाओं की अपेक्षा कम खर्चीली व बेहतर उत्पादन देने वाली है। इसे मध्यम मछली पालक अपनाकर छोटी-सी जगह में छह से आठ माह में दो क्विंटल मछली तैयार कर सकते हैं। तैयार मछलियों का वजन आधा से एक किलो होगा, जिसे मार्केट में 100 से 200 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा सकता है।

सिर्फ एक बार देना होगा दाना

मछली पालन अभी समुद्र, डैम और ताल-तलैया में होता आ रहा है। इसमें सिर्फ बड़े कारोबारी ही आगे आते हैं। इजराइल, इंडोनेशिया जैसे देशों में मछली के काफी शौकीन हैं। वहां कई परिवार मिलकर मछली पालन बायोफ्लॉक पद्धति से कर हैं। इस व्यवसाय में सबसे अधिक मछली के भोजन पर खर्च आता है। इसमें मछलियों के अपशिष्टों को भोजन में बदलने की तकनीक अपनाई जाएगी। इसके लिए बेनी फिशियल वैक्टीरिया डालेंगे, जिससे मछलियों के दाने पर आ रहा खर्च चौथाई हो जाएगा, जो कि अमूमन दिन भर में मछलियों को दो बार दाना डालना होता है। इसे अपनाने से एक बार ही दाना देना पड़ेगा, इसलिए जिस तरह से भारत में आधुनिक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है, उसी तरह से छत्त्तीसगढ़ में बायोफ्लॉक तकनीक के बेहतर परिणाम से मध्यम वर्ग के किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी।

इन मछलियों की होगी पैदावार

बायोफ्लॉक तकनीक के माध्यम से तिलिपियां, मांगूर, केवो, कमनकार जैसी कई मछलियों की पैदावार की जा सकेगी। डॉ. एस सासमल की मानें तो इस तकनीक से किसान महज एक लाख रुपये खर्च कर प्रति वर्ष एक से दो लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं। इस तकनीक में सिर्फ एक बार सीमेंट टैंक को बनाने में खर्च आता है। उसके बाद निर्देशों का पालन करने पर मछली पालन करने के छह महीने के बाद अच्छा मुनाफा मिलना शुरू हो जाता है। से पानी का बहाव अच्छा रहता है।-दिन भर में एक बार देना होगा दाना

- तकनीक बनाने में सिर्फ एक लाख रुपए का खर्च

- सिर्फ 250 स्क्वायर फीट गोलाकार, आयाताकार सीमेंट टैंक बनाना होगा

- प्रति वर्ष एक लाख से दो लाख की होगी आमदनी

-मत्स्य बीज की साइज 100 ग्राम हो

-छह माह में तैयार होगी आधा से एक किलो वजन की मछली

इनका कहना है

बायोफ्लॉक तकनीक प्रदेश भर के सभी जिलों में उपयुक्त पद्धति होगी। किसान सहित कोई भी कहीं भी छोटी जगह में तकनीक तैयार कर सकते हैं- डॉ. एस सासमल, मत्स्य वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विवि

 

Source: Nai Dunia