हमारे पूर्वज बिना रायायनिक उत्पादों के खेती करते थे, आज हमें भी वही अपनाना चाहिए

October 30 2021

विकास संवाद कार्यालय पोहरी पर परंपररागत अनाजों पर कृषको का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में प्रशिक्षक कृषि विभाग के रविशंकर शर्मा और विकास संवाद के अजय यादव ने जानकारी दी। इसमें 15 गांव के 35 किसानों ने हिस्सा लिया। अजय यादव विकास ने कहा कि आज हम गांवों में देखें तो परंपरागत अनाज खत्म होते जा रहे हैं। रासायनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे तत्कालिक रूप से तो फायदा पहुंचता है, लेकिन लंबे समय के लिए देखें तो खेती को काफी नुकसान पहुंचता है। रासायनिक खाद व दवा के बिना खेती करना मुश्किल जरूर है, लेकिन यदि इसके नुकसान देखें तो यह बहुत जरूरी है कि रसायनिक पदार्थों का इस्तेमाल रोका जाए।

रविशंकर शर्मा ने सभी से उनके पूर्वजों द्वारा की जाने वाली खेती के संबंध में पूछा। इस पर लंपी आदिवासी ने बताया कि हमारे यहां पूर्व में कठिया गेंहू, अलसी, सरसों, बाजरा आदि की खेती होती थी। तब कोई रसायनिक खाद भी नहीं डाली जाती थी। इस पर रविशंकर शर्मा ने बताया कि जब रसायनिक खाद के बिना खेती की जाती थी तब बीमारियां भी बहुत कम थीं। मोटे अनाज में वह सभी तत्व होते थे जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं। उस समय किसान घर में ही बनी दवा का इस्तेमाल फसल की सुरक्षा के लिए करते थे जैसे इल्ली से फसल को बचाने के लिए मठा को सड़ाकर उसका छिड़काव किया जाता था। श्री शर्मा ने बिना रसायनिक दवाओं और खाद के खेती करने की सलाह दी। शिविर में संस्था के सुनील शर्मा, अरविंद यादव, राजकुमार परिहार, संजय कुशवाह एवं रानी जाटव का विशेष सहयोग रहा।

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स्रोत: Nai Dunia