यूरिया खाद की तीन बोरियों के साथ लेनी होंगी दो बोतल नैनो

February 23 2022

हिमाचल प्रदेश में पैदा हुए खाद संकट के बाद सोमवार को इफको की यूरिया खाद विभिन्न जिलों के लिए भेजी गई। कई गोदामों में खाद की खेप पहुंच चुकी है और बिक्री भी शुरू हो चुकी है, लेकिन इस बार अधिक मांग करने वाले किसानों को बोरी वाली यूरिया खाद के साथ नैनो यूरिया भी खरीदनी पड़ेगी। दरअसल तीन बोरी से ज्यादा बोरी वाली यूरिया की मांग वाले किसानों को नैनो यूरिया की दो बोतल दी जाएंगी। इससे किसानों की पांच बोरियों की जरूरत पूरी हो जाएगी। हालांकि किसान नैनो यूरिया को खरीदने में कम रुचि दिखा रहे हैं, लेकिन तीन बोरी से ज्यादा मांग पर नैनो की बोतल खरीदनी ही पड़ेगी।

प्रदेश में इफको इस समय किसानों को नैनो यूरिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, लेकिन नया उत्पाद होने के कारण किसान इसके खरीदने में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ऐसे में इफको ने बोरी वाली यूरिया के साथ इसे बेचना शुरू कर दिया है और अधिक मांग वाले किसानों को इसकी खरीद करनी ही पड़ती है। इस संबंध में इफको ऊना के बिक्री अधिकारी मोहित शर्मा ने बताया कि नैनो यूरिया को किसी भी कीटनाशक या अन्य दवा के साथ मिलकर भी स्प्रे किया जा सकता है। कहा कि इससे किसानों का समय बचेगा। उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया के नतीजे बोरी वाली यूरिया से बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि तीन खाद बोरी के साथ दो नैनो यूरिया भी दी जाएगी। 

किसान नैनो में दिखा रहे कम रुझान

किसान नैनो यूरिया को खरीदने में कम रुझान दिखा रहे हैं। किसानों का कहना है कि खेत में बोरी वाली यूरिया का छिड़काव करना नैनो यूरिया की स्प्रे से आसान है। वहीं किसान स्प्रे करके को लंबी प्रक्रिया बता रहे हैं। उनका कहना है कि स्प्रे पंप लेकर खेत में घूमना एक मुश्किल काम है।

चंडीगढ़ पहुंची म्यूरेट ऑफ पोटाश खाद, हिमफेड के सभी स्टोर में भेजी 

वहीं, म्यूरेट ऑफ पोटाश खाद सोमवार को चंडीगढ़ पहुंच गई। वहां से इसे ट्रकों में सीधे हिमफेड के स्टोरों और डिपो के लिए रवाना कर दिया गया है। यह जानकारी हिमफेड के अध्यक्ष गणेश दत्त ने दी है। सेब बगीचों में खाद संकट के बीच जॉर्डन ये आयातित यह खाद आखिर प्रदेश में पहुंच ही गई। इस खाद को जनवरी में मंगवा दिया गया था, मगर नहीं पहुंची थी। मंगलवार के बाद यह हिमफेड के डिपो में मिलना शुरू हो सकती है। म्यूरेट ऑफ पोटाश खाद जॉर्डन और इस्रायल के बीच डेड सी या इस तरह के स्रोतों से खोदकर निकाली जाती है।

इसके रेट 1050 से बढ़ाकर 1700 रुपये हो गए हैं। इनकी कीमतें बढ़ने के कारण विदेशों से इसे कम मात्रा में मंगवाया जा रहा है। इसी से हिमाचल में भी संकट पैदा हो गया। इस खाद की जरूरत फरवरी महीने में ही ज्यादा होती है। निचले क्षेत्रों में तो यह फरवरी के पहले और दूसरे सप्ताह में ही डाली जाती है। इन क्षेत्रों में निर्धारित समय भी निकल गया है। हिमफेड के अध्यक्ष गणेश दत्त ने कहा कि चंडीगढ़ में खाद पहुंचने के बाद इसे स्टोरों और डिपो के लिए रवाना कर दिया गया है।

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स्रोत: Amar Ujala