मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के जर‍िए एक ही साल हुई 22565 करोड़ लीटर पानी की बचत

October 23 2023

हर‍ियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है खेती के जर‍िए भू-जल के बचत की मुह‍िम शुरू की ताक‍ि आने वाली पीढ़ि‍यों के पास पीने और खेती के ल‍िए पानी की बचत हो। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के जर‍िए यह मुह‍िम शुरू की गई। इसके ल‍िए क‍िसानों को र‍िझाया गया, उन्हें पैसे से मनाया गया। खासतौर पर धान की खेती छोड़ने के ल‍िए 7000 रुपये प्रत‍ि एकड़ की प्रोत्साहन राश‍ि दी गई। क्योंक‍ि एक क‍िलो चावल तैयार होने में करीब 3000 लीटर पानी खर्च होता है। ऐसे में इसकी खेती को हतोत्साह‍ित करना जरूरी है. अब इस योजना की एक असेसमेंट र‍िपोर्ट आई है। ज‍िसमें दावा क‍िया गया है क‍ि अकेले 2020 में ही इस योजना से राज्य में 22,565 करोड़ लीटर पानी की बचत की गई। हालांक‍ि, यह नहीं बताया गया है क‍ि क‍िस फार्मूले से पानी की बचत का यह आंकड़ा न‍िकाला गया है।

दरअसल, भारत में करीब 90 फीसदी भू-जल का इस्तेमाल कृष‍ि क्षेत्र में होता है। इसल‍िए जल संकट की समस्या का समाधान भी क‍िसानों के जर‍िए ही करने का प्रयास क‍िया जा रहा है। उनसे धान की खेती छोड़ने को कहा जा रहा है। सूबे में 7287 गांव हैं ज‍िसमें से 3041 पानी की कमी से जूझ रहे हैं। यानी करीब 42 फीसदी गांवों के लोगों ने पानी के संकट का सामना करना शुरू कर द‍िया है। जबक‍ि 1948 गांव तो ऐसे हैं जो गंभीर जल संकट को झेल रहे हैं। इसल‍िए पानी की बचत नहीं की गई तो आने वाली पीढ़‍ियों के सामने बहुत बड़ी चुनौती आएगी। इसल‍िए सीएम मनोहरलाल ने राज्य के क‍िसानों से धान की खेती कम करवाने का बड़ा र‍िस्क ल‍िया, लेक‍िन अब इसके अच्छे पर‍िणाम आने शुरू हो गए हैं।

योजना का र‍िपोर्ट कार्ड

  • खरीफ वर्ष 2020 में 41,947 किसानों ने कुल 63,743 एकड़ क्षेत्र में फसल विविधीकरण क‍िया। इसके लिए इन क‍िसानों को 45 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन रकम दी गई. इससे लगभग कुल 22,565 करोड़ लीटर पानी की बचत की गई।  
  • खरीफ वर्ष 2023 में 31 जुलाई तक कुल 32150 किसानों ने अपनी 70,170 एकड़ फसल का इस योजना के तहत रज‍िस्ट्रेशन करवाया है। यानी धान की फसल छोड़कर कम पानी वाली फसलों की खेती की है।
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स्रोत: किसान तक